गिर पड़े उस पत्थर से टकरा कर ज़मीं पर हम,
भरोसे की नीव कह जिसे कभी अपनों ने रखा था।
उसकी हँसी पर क्या भरोसा करना,
जो शख़्स खुलकर कभी रोया न हो।
यूं तो हर गुनाह का कफ़ारा नहीं होता,
उठ जाए जो एक दफा भरोसा दुबारा नहीं होता।
प्यार और भरोसा दो ऐसे पंछी हैं,
अगर इनमें से एक उड़ जाए तो,
दूसरा अपने आप उड़ जाता है।
प्यार में कोई तो दिल तोड़ देता है,
दोस्ती में कोई तो भरोसा तोड़ देता है,
ज़िंदगी जीना तो कोई ग़ुलाब से सीखे,
जो खुद टूट कर दो दिलों को जोड़ देता है।
आप जिस पर आँख बंद करके भरोसा करते हैं,
अक्सर वही आप की आँखें खोल जाते है।
हर इक पल सामने मेरे तुम्हारा ही ये चेहरा हो,
तुम्हारी ही महक लाता हवाओं का ये पहरा हो,
तुम्हारे प्यार में पागल हुआ दिल कह रहा है अब,
तुम्हें मुझ पर भरोसा और गहरा और गहरा हो।
नसीब से ज्यादा भरोसा तुम पर किया,
फिर भी नसीब इतना नहीं बदला जितना तुम बदल गई।
सिखा दिया दुनिया ने मुझे अपनो पर भी शक करना,
मेरी फितरत में तो गैरों पर भी भरोसा करना था।