बात भरोसे की ना कर ऐ दिल तू किसी गैर से,
मौसम से ज्यादा, इन्ही लोगों को बदलते देखा है मैंने।
एक बार फ़िर शक भरोसे से सबूत मांग रहा है,
हँस रही है क़िस्मत, फ़िर एक रिश्ता दफ़न हो रहा है।
हर इक पल सामने मेरे तुम्हारा ही ये चेहरा हो,
तुम्हारी ही महक लाता हवाओं का ये पहरा हो,
तुम्हारे प्यार में पागल हुआ दिल कह रहा है अब,
तुम्हें मुझ पर भरोसा और गहरा और गहरा हो।
आज शाम हुई कल फिर सूरज निकलेगा,
भरोसा रख अपने आप पर हर पल तू निखरेगा।
अब इन लहरो पर क्या भरोसा करूं,
जब वो मेरे विपरीत ही चल रही है,
मुझे तो इन हवाओं पर भरोसा है,
जो मेरे पतवार को सहारा दे रही है।
प्यार में तो बस भरोसा होना चाहिए,
शक तो पूरी दुनिया करती हैं।
जिंदगी का भरोसा नहीं कब तक साथ निभाएगी,
पर मौत पर ऐतबार है एक दिन ज़रूर आएगी।
समुंदर की लहरों पर भरोसा कर बैठे,
कल वो डुबा कर हमें किनारा कर बैठे।
जो चाहे वो पा लेता है इंसान,
विश्वास में इतना दम होता है,
जो इंसान को ईश्वर देता है,
वो कभी भी कम नहीं होता हैं।
मुझे खामोश देखकर इतना हैरान क्यों होते हो दोस्तों,
कुछ नहीं हुवा है बस भरोसा कर के धोखा खाया है।