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Home Kisan Shayari Kisan Shayari in Hindi - किसान शायरी इन हिंदी

किसान की आह जो दिल से निकाली जाएगी

किसान की आह जो दिल से निकाली जाएगीकिसान की आह जो दिल से निकाली जाएगी,
क्या समझते हो कि ख़ाली जाएगी।

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शहर मे ओलावृष्टि से शहरी बहुत खुश होते है बर्फ़बारी समझकरशहर मे ओलावृष्टि से,
शहरी बहुत खुश होते है बर्फ़बारी समझकर,
कभी मिलजाए फुर्सत तो महसूस करियेगा दर्द,
खुद को गांव का किसान समझकर।

देर शाम खेत से किसान घर नहीं आता हैदेर शाम खेत से किसान घर नहीं आता है,
तो बच्चों का मासूम दिल सहम जाता है।

मुफ़्त की कोई चीज बाजार में नहीं मिलतीमुफ़्त की कोई चीज बाजार में नहीं मिलती,
किसान के मरने की सुर्खियां अखबार में नहीं मिलती।

मिट्टी से गहरा रिश्ता रखता हूँमिट्टी से गहरा रिश्ता रखता हूँ,
किसान का बेटा हूँ गर्व से कहता हूँ।

चीर के जमीन को मैं उम्मीद बोता हूँचीर के जमीन को, मैं उम्मीद बोता हूँ।
मैं किसान हूँ, चैन से कहाँ सोता हूँ।

शुक्र हैं कि बच्चे अब शर्म से नही मरेंगेशुक्र हैं कि बच्चे अब शर्म से नही मरेंगे,
चुल्लू भर पानी खुदा दे, दुआँ करेंगे।

मैं किसान हूँ मुझे भरोसा हैं अपने जूनून परमैं किसान हूँ मुझे भरोसा हैं अपने जूनून पर,
निगाहे लगी हुई है आकाश के मानसून पर।

लोग कहते हैं बेटी को मार डालोगेलोग कहते हैं बेटी को मार डालोगे,
तो बहू कहाँ से पाओगे?
जरा सोचो किसान को मार डालोगे,
तो रोटी कहाँ से लाओगे?

नही हुआ हैं अभी सवेरा पूरब की लाली पहचाननही हुआ हैं अभी सवेरा,
पूरब की लाली पहचान,
चिडियों के उठने से पहले,
खाट छोड़ उठ गया किसान।

खुदका तो पता नहीं पर कोई पेट न भूका रह जायेखुदका तो पता नहीं पर,
कोई पेट न भूका रह जाये,
इतना में करूँ परिश्रम की,
चारों धाम खेत से हो जायें।

ऐ ख़ुदा बस एक ख़्वाब सच्चा दे देऐ ख़ुदा बस एक ख़्वाब सच्चा दे दे,
अबकी बरस मानसून अच्छा दे दे,

ये मौसम भी कितना बेईमान हैंये मौसम भी कितना बेईमान हैं,
बारिश न होने की वजह से मरा इक किसान हैं।

हू एक किसान ऐतबार अपनी लगन पेहू एक किसान ऐतबार अपनी लगन पे,
लगी है निगाहें आसमा के मानसून पे।

क्यों न लटकाया वन काटने वाले शैतान कोक्यों न लटकाया वन काटने वाले शैतान को,
बिना सोचे तूने सीधी सजा दी मेरे किसान को।

किसान की आह जो दिल से निकाली जाएगीकिसान की आह जो दिल से निकाली जाएगी,
क्या समझते हो कि ख़ाली जाएगी।

खेतों का पानी अब आखों में आ गया हैंखेतों का पानी अब आखों में आ गया हैं,
मेरे गाँव का किसान अब शहर में आ गया हैं।

दीवार क्या गिरी किसान के कच्चे मकान कीदीवार क्या गिरी किसान के कच्चे मकान की,
नेताओ ने उसके आँगन में रस्ता बन दिया।

वो जो खेतों की मेढ़ों पर उदास बैठे हैंवो जो खेतों की मेढ़ों पर उदास बैठे हैं,
उनकी आखों में अब तक ईमान बाकी है,
बादलों बरस जाना समय पर इस बार,
किसी का मकान गिरवी तो किसी का लगान बाकी है।

परिश्रम की मिसाल हैं जिस पर कर्जो के निशान हैंपरिश्रम की मिसाल हैं,
जिस पर कर्जो के निशान हैं,
घर चलाने में खुद को मिटा दिया,
और कोई नही वह किसान हैं।

बढ़ रही हैं कीमते अनाज कीबढ़ रही हैं कीमते अनाज की,
पर हो न सकी विदा बेटी किसान की।


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