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Home Kisan Shayari Kisan Shayari in Hindi - किसान शायरी इन हिंदी

खाया खूब खाया दावते उड़ाई जो बचा था कचरा पात्र में था

खाया खूब खाया दावते उड़ाई जो बचा था कचरा पात्र में थाखाया, खूब खाया, दावते उड़ाई,
जो बचा था, कचरा पात्र में था,
और जो भूखा था वो किसान था,
वो भूखा भी इसीलिए था क्योंकि वो किसान था।

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कहाँ ले जाओगे किसान के हक का दानाकहाँ ले जाओगे किसान के हक का दाना,
इस दुनिया को एक दिन तुमको भी है छोड़ जाना।

बढ़ रही हैं कीमते अनाज कीबढ़ रही हैं कीमते अनाज की,
पर हो न सकी विदा बेटी किसान की।

क्यों न लटकाया वन काटने वाले शैतान कोक्यों न लटकाया वन काटने वाले शैतान को,
बिना सोचे तूने सीधी सजा दी मेरे किसान को।

मैं किसान हूँ मुझे भरोसा हैं अपने जूनून परमैं किसान हूँ मुझे भरोसा हैं अपने जूनून पर,
निगाहे लगी हुई है आकाश के मानसून पर।

जो अपने कांधे पर देखो खुद हल लेकर चलता हैजो अपने कांधे पर देखो खुद हल लेकर चलता है,
आज उसी की कठिनाइयों का हल क्यों नही निकलता है,
है जिससे उम्मीद उन्हें बस चिंता है मतदान की,
टूटी माला जैसे बिखरी किस्मत आज किसान की।

शहर मे ओलावृष्टि से शहरी बहुत खुश होते है बर्फ़बारी समझकरशहर मे ओलावृष्टि से,
शहरी बहुत खुश होते है बर्फ़बारी समझकर,
कभी मिलजाए फुर्सत तो महसूस करियेगा दर्द,
खुद को गांव का किसान समझकर।

ज़िन्दगी के नगमे कुछ यूँ गाता मेहनत मजदूरी करके खाताज़िन्दगी के नगमे कुछ यूँ गाता,
मेहनत मजदूरी करके खाता,
सद्बुद्धि सबको दो दाता,
हम है, अगर हैं अन्नदाता

ग़रीब के बच्चे भी खाना खा सके त्योहारों मेंग़रीब के बच्चे भी खाना खा सके त्योहारों में,
तभी तो भगवान खुद बिक जाते हैं बाजारों में।

देवताओं से भी हल नहीं हुई जिन्दगी कही सरल नही हुईदेवताओं से भी हल नहीं हुई,
जिन्दगी कही सरल नही हुई,
कि अबके साल फिर यही हुआ
अबके साल फिर फसल नही हुई।

हू एक किसान ऐतबार अपनी लगन पेहू एक किसान ऐतबार अपनी लगन पे,
लगी है निगाहें आसमा के मानसून पे।

किसानो से अब कहाँ वो मुलाकात करते हैंकिसानो से अब कहाँ वो मुलाकात करते हैं,
बस ऱोज नये ख्वाबो की बात करते हैं।

देर शाम खेत से किसान घर नहीं आता हैदेर शाम खेत से किसान घर नहीं आता है,
तो बच्चों का मासूम दिल सहम जाता है।

मुफ़्त की कोई चीज बाजार में नहीं मिलतीमुफ़्त की कोई चीज बाजार में नहीं मिलती,
किसान के मरने की सुर्खियां अखबार में नहीं मिलती।

नही हुआ हैं अभी सवेरा पूरब की लाली पहचाननही हुआ हैं अभी सवेरा,
पूरब की लाली पहचान,
चिडियों के उठने से पहले,
खाट छोड़ उठ गया किसान।

उन घरो में जहाँ मिट्टी के घड़े रहते हैंउन घरो में जहाँ मिट्टी के घड़े रहते हैं,
कद में छोटे हो, मगर लोग बड़े रहते हैं।

कोई परेशान हैं सास-बहू के रिश्तो मेंकोई परेशान हैं सास-बहू के रिश्तो में,
किसान परेशान हैं कर्ज की किश्तों में।

मत मारो गोलियो से मुझे मैं पहले से एक दुखी इंसान हूँमत मारो गोलियो से मुझे,
मैं पहले से एक दुखी इंसान हूँ,
मेरी मौत कि वजह यही हैं कि,
मैं पेशे से एक किसान हूँ।

परिश्रम की मिसाल हैं जिस पर कर्जो के निशान हैंपरिश्रम की मिसाल हैं,
जिस पर कर्जो के निशान हैं,
घर चलाने में खुद को मिटा दिया,
और कोई नही वह किसान हैं।

हमने भी कितने पेड़ तोड़ दिए संसद की कुर्सियों में जोड़ दिएहमने भी कितने पेड़ तोड़ दिए,
संसद की कुर्सियों में जोड़ दिए,
कुआँ बुझा दिए, नदियाँ सुखा दिए,
विकास की ताकत से कुदरत को झुका दिए।

शुक्र हैं कि बच्चे अब शर्म से नही मरेंगेशुक्र हैं कि बच्चे अब शर्म से नही मरेंगे,
चुल्लू भर पानी खुदा दे, दुआँ करेंगे।


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