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Home Kisan Shayari Kisan Shayari in Hindi - किसान शायरी इन हिंदी

खाया खूब खाया दावते उड़ाई जो बचा था कचरा पात्र में था

खाया खूब खाया दावते उड़ाई जो बचा था कचरा पात्र में थाखाया, खूब खाया, दावते उड़ाई,
जो बचा था, कचरा पात्र में था,
और जो भूखा था वो किसान था,
वो भूखा भी इसीलिए था क्योंकि वो किसान था।

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देवताओं से भी हल नहीं हुई जिन्दगी कही सरल नही हुईदेवताओं से भी हल नहीं हुई,
जिन्दगी कही सरल नही हुई,
कि अबके साल फिर यही हुआ
अबके साल फिर फसल नही हुई।

किसान की आह जो दिल से निकाली जाएगीकिसान की आह जो दिल से निकाली जाएगी,
क्या समझते हो कि ख़ाली जाएगी।

खेतों का पानी अब आखों में आ गया हैंखेतों का पानी अब आखों में आ गया हैं,
मेरे गाँव का किसान अब शहर में आ गया हैं।

एक ईमानदार किसान को डरे सहमे हुए देखा हैएक ईमानदार किसान को डरे सहमे हुए देखा है,
मेहनत करने के बावजूद भूख से लड़ते हुए देखा है।

यू आसमा पे पहुच रही कीमते खाद्यान कीयू आसमा पे पहुच रही कीमते खाद्यान की,
फिर भी बिना ऋण विदा हो सकी लाडली किसान की।

घटाएँ उठती हैं बरसात होने लगती हैघटाएँ उठती हैं, बरसात होने लगती है,
जब आँख भर के फ़लक को किसान देखता है।

जमीन जल चुकी है आसमान बाकी हैजमीन जल चुकी है आसमान बाकी है,
सूखे कुएँ तुम्हारा इम्तहान बाकी है,
वो जो खेतों की मेढ़ों पर उदास बैठे हैं,
उनकी आखों में अब तक ईमान बाकी है,

क्यों न लटकाया वन काटने वाले शैतान कोक्यों न लटकाया वन काटने वाले शैतान को,
बिना सोचे तूने सीधी सजा दी मेरे किसान को।

कितने अजब रंग समेटे हैं ये बेमौसम बारिश खुद मेंकितने अजब रंग समेटे हैं, ये बेमौसम बारिश खुद में,
अमीर पकौड़े खाने की सोच रहा हैं तो किसान जहर।

नही हुआ हैं अभी सवेरा पूरब की लाली पहचाननही हुआ हैं अभी सवेरा,
पूरब की लाली पहचान,
चिडियों के उठने से पहले,
खाट छोड़ उठ गया किसान।

मत मारो गोलियो से मुझे मैं पहले से एक दुखी इंसान हूँमत मारो गोलियो से मुझे,
मैं पहले से एक दुखी इंसान हूँ,
मेरी मौत कि वजह यही हैं कि,
मैं पेशे से एक किसान हूँ।

छोटे छोटे हाथों में छाले हो जाते हैंछोटे छोटे हाथों में छाले हो जाते हैं,
किसान के बच्चे इसलिए दिलवाले हो जाते हैं,
यही बॉर्डर पर सेना में कुर्बान हो जाते हैं,
किसान के बच्चे वक़्त से पहले जवान हो जाते हैं।

वो जो खेतों की मेढ़ों पर उदास बैठे हैंवो जो खेतों की मेढ़ों पर उदास बैठे हैं,
उनकी आखों में अब तक ईमान बाकी है,
बादलों बरस जाना समय पर इस बार,
किसी का मकान गिरवी तो किसी का लगान बाकी है।

ज़िन्दगी के नगमे कुछ यूँ गाता मेहनत मजदूरी करके खाताज़िन्दगी के नगमे कुछ यूँ गाता,
मेहनत मजदूरी करके खाता,
सद्बुद्धि सबको दो दाता,
हम है, अगर हैं अन्नदाता

हू एक किसान ऐतबार अपनी लगन पेहू एक किसान ऐतबार अपनी लगन पे,
लगी है निगाहें आसमा के मानसून पे।

बढ़ रही हैं कीमते अनाज कीबढ़ रही हैं कीमते अनाज की,
पर हो न सकी विदा बेटी किसान की।

शहर मे ओलावृष्टि से शहरी बहुत खुश होते है बर्फ़बारी समझकरशहर मे ओलावृष्टि से,
शहरी बहुत खुश होते है बर्फ़बारी समझकर,
कभी मिलजाए फुर्सत तो महसूस करियेगा दर्द,
खुद को गांव का किसान समझकर।

कितना भी डिजीट्ल हो जाये हिन्दूस्तानकितना भी डिजीट्ल हो जाये हिन्दूस्तान,
लेकिन देश की शान, देश का किसान।

ऐ ख़ुदा बस एक ख़्वाब सच्चा दे देऐ ख़ुदा बस एक ख़्वाब सच्चा दे दे,
अबकी बरस मानसून अच्छा दे दे,

परिश्रम की मिसाल हैं जिस पर कर्जो के निशान हैंपरिश्रम की मिसाल हैं,
जिस पर कर्जो के निशान हैं,
घर चलाने में खुद को मिटा दिया,
और कोई नही वह किसान हैं।


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