मुफ़्त की कोई चीज बाजार में नहीं मिलती,
किसान के मरने की सुर्खियां अखबार में नहीं मिलती।
कहाँ ले जाओगे किसान के हक का दाना,
इस दुनिया को एक दिन तुमको भी है छोड़ जाना।
जिसकी आँखो के आगे, किसान पेड़ पे झूल गया,
देख आईना तू भी बन्दे,कल जो किया वो भूल गया।
कितने अजब रंग समेटे हैं, ये बेमौसम बारिश खुद में,
अमीर पकौड़े खाने की सोच रहा हैं तो किसान जहर।
कहा रख दू अपने हिस्से की शराफ़त,
जहाँ देखूं वहां बेईमान ही खडे है,
क्या खूब बढ़ रहा है वतन देखिये,
खेतों में बिल्डर सड़क पे किसान खड़े है।
सबका पेट भरता वो आज उस पे भूके रहने की नौबत आयी,
नहीं सम्भले अभी तो कल हमारी बारी आयी।
एक ईमानदार किसान को डरे सहमे हुए देखा है,
मेहनत करने के बावजूद भूख से लड़ते हुए देखा है।
छोटे छोटे हाथों में छाले हो जाते हैं,
किसान के बच्चे इसलिए दिलवाले हो जाते हैं,
यही बॉर्डर पर सेना में कुर्बान हो जाते हैं,
किसान के बच्चे वक़्त से पहले जवान हो जाते हैं।
उन घरो में जहाँ मिट्टी के घड़े रहते हैं,
कद में छोटे हो, मगर लोग बड़े रहते हैं।
ये मौसम भी कितना बेईमान हैं,
बारिश न होने की वजह से मरा इक किसान हैं।