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Home Kisan Shayari Kisan Shayari in Hindi - किसान शायरी इन हिंदी

हमने भी कितने पेड़ तोड़ दिए संसद की कुर्सियों में जोड़ दिए

हमने भी कितने पेड़ तोड़ दिए संसद की कुर्सियों में जोड़ दिएहमने भी कितने पेड़ तोड़ दिए,
संसद की कुर्सियों में जोड़ दिए,
कुआँ बुझा दिए, नदियाँ सुखा दिए,
विकास की ताकत से कुदरत को झुका दिए।

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जमीन जल चुकी है आसमान बाकी हैजमीन जल चुकी है आसमान बाकी है,
सूखे कुएँ तुम्हारा इम्तहान बाकी है,
वो जो खेतों की मेढ़ों पर उदास बैठे हैं,
उनकी आखों में अब तक ईमान बाकी है,

कोई परेशान हैं सास-बहू के रिश्तो मेंकोई परेशान हैं सास-बहू के रिश्तो में,
किसान परेशान हैं कर्ज की किश्तों में।

ऐ ख़ुदा बस एक ख़्वाब सच्चा दे देऐ ख़ुदा बस एक ख़्वाब सच्चा दे दे,
अबकी बरस मानसून अच्छा दे दे,

परिश्रम की मिसाल हैं जिस पर कर्जो के निशान हैंपरिश्रम की मिसाल हैं,
जिस पर कर्जो के निशान हैं,
घर चलाने में खुद को मिटा दिया,
और कोई नही वह किसान हैं।

कहाँ ले जाओगे किसान के हक का दानाकहाँ ले जाओगे किसान के हक का दाना,
इस दुनिया को एक दिन तुमको भी है छोड़ जाना।

चीर के जमीन को मैं उम्मीद बोता हूँचीर के जमीन को, मैं उम्मीद बोता हूँ।
मैं किसान हूँ, चैन से कहाँ सोता हूँ।

सबका पेट भरता वो आज उस पे भूके रहने की नौबत आयीसबका पेट भरता वो आज उस पे भूके रहने की नौबत आयी,
नहीं सम्भले अभी तो कल हमारी बारी आयी।

मुफ़्त की कोई चीज बाजार में नहीं मिलतीमुफ़्त की कोई चीज बाजार में नहीं मिलती,
किसान के मरने की सुर्खियां अखबार में नहीं मिलती।

घटाएँ उठती हैं बरसात होने लगती हैघटाएँ उठती हैं, बरसात होने लगती है,
जब आँख भर के फ़लक को किसान देखता है।

छोटे छोटे हाथों में छाले हो जाते हैंछोटे छोटे हाथों में छाले हो जाते हैं,
किसान के बच्चे इसलिए दिलवाले हो जाते हैं,
यही बॉर्डर पर सेना में कुर्बान हो जाते हैं,
किसान के बच्चे वक़्त से पहले जवान हो जाते हैं।

क्यों ना सजा दी पेड़ काटने वाले शैतान कोक्यों ना सजा दी पेड़ काटने वाले शैतान को,
खुदा तूने सजा दे दी सीधे-सादे किसान को।

जो अपने कांधे पर देखो खुद हल लेकर चलता हैजो अपने कांधे पर देखो खुद हल लेकर चलता है,
आज उसी की कठिनाइयों का हल क्यों नही निकलता है,
है जिससे उम्मीद उन्हें बस चिंता है मतदान की,
टूटी माला जैसे बिखरी किस्मत आज किसान की।

एक ईमानदार किसान को डरे सहमे हुए देखा हैएक ईमानदार किसान को डरे सहमे हुए देखा है,
मेहनत करने के बावजूद भूख से लड़ते हुए देखा है।

टूटा-फूटा घर मेरा बस दो वक़्त की रोटी हैटूटा-फूटा घर मेरा,
बस दो वक़्त की रोटी है,
हम बुरी हालातों से लड़ने वाले किसान,
हमारी जिंदगी बहुत छोटी हैं।

ज़िन्दगी के नगमे कुछ यूँ गाता मेहनत मजदूरी करके खाताज़िन्दगी के नगमे कुछ यूँ गाता,
मेहनत मजदूरी करके खाता,
सद्बुद्धि सबको दो दाता,
हम है, अगर हैं अन्नदाता

मैं किसान हूँ मुझे भरोसा हैं अपने जूनून परमैं किसान हूँ मुझे भरोसा हैं अपने जूनून पर,
निगाहे लगी हुई है आकाश के मानसून पर।

मिट्टी से गहरा रिश्ता रखता हूँमिट्टी से गहरा रिश्ता रखता हूँ,
किसान का बेटा हूँ गर्व से कहता हूँ।

खाया खूब खाया दावते उड़ाई जो बचा था कचरा पात्र में थाखाया, खूब खाया, दावते उड़ाई,
जो बचा था, कचरा पात्र में था,
और जो भूखा था वो किसान था,
वो भूखा भी इसीलिए था क्योंकि वो किसान था।

ये सिलसिला क्या यूँ ही चलता रहेगाये सिलसिला क्या यूँ ही चलता रहेगा,
सियासत अपनी चालों से,
कब तक किसान को छलता रहेगा।

हमने भी कितने पेड़ तोड़ दिए संसद की कुर्सियों में जोड़ दिएहमने भी कितने पेड़ तोड़ दिए,
संसद की कुर्सियों में जोड़ दिए,
कुआँ बुझा दिए, नदियाँ सुखा दिए,
विकास की ताकत से कुदरत को झुका दिए।


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