छोटे छोटे हाथों में छाले हो जाते हैं,
किसान के बच्चे इसलिए दिलवाले हो जाते हैं,
यही बॉर्डर पर सेना में कुर्बान हो जाते हैं,
किसान के बच्चे वक़्त से पहले जवान हो जाते हैं।
जो अपने कांधे पर देखो खुद हल लेकर चलता है,
आज उसी की कठिनाइयों का हल क्यों नही निकलता है,
है जिससे उम्मीद उन्हें बस चिंता है मतदान की,
टूटी माला जैसे बिखरी किस्मत आज किसान की।
लोग कहते हैं बेटी को मार डालोगे,
तो बहू कहाँ से पाओगे?
जरा सोचो किसान को मार डालोगे,
तो रोटी कहाँ से लाओगे?
कहा रख दू अपने हिस्से की शराफ़त,
जहाँ देखूं वहां बेईमान ही खडे है,
क्या खूब बढ़ रहा है वतन देखिये,
खेतों में बिल्डर सड़क पे किसान खड़े है।
मिट्टी से गहरा रिश्ता रखता हूँ,
किसान का बेटा हूँ गर्व से कहता हूँ।
बढ़ रही हैं कीमते अनाज की,
पर हो न सकी विदा बेटी किसान की।
छत टपकती हैं उसके कच्चे मकान की,
फिर भी बारिश हो जाये, तमन्ना हैं किसान की।
मुफ़्त की कोई चीज बाजार में नहीं मिलती,
किसान के मरने की सुर्खियां अखबार में नहीं मिलती।
शुक्र हैं कि बच्चे अब शर्म से नही मरेंगे,
चुल्लू भर पानी खुदा दे, दुआँ करेंगे।
देर शाम खेत से किसान घर नहीं आता है,
तो बच्चों का मासूम दिल सहम जाता है।