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Home Kisan Shayari Kisan Shayari in Hindi - किसान शायरी इन हिंदी

खेतों को जब पानी की जरूरत होती है

खेतों को जब पानी की जरूरत होती हैखेतों को जब पानी की जरूरत होती है,
तो आसमान बरसता है या तो आँखें।

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खेतों का पानी अब आखों में आ गया हैंखेतों का पानी अब आखों में आ गया हैं,
मेरे गाँव का किसान अब शहर में आ गया हैं।

जिसकी आँखो के आगे किसान पेड़ पे झूल गयाजिसकी आँखो के आगे, किसान पेड़ पे झूल गया,
देख आईना तू भी बन्दे,कल जो किया वो भूल गया।

क्यों न लटकाया वन काटने वाले शैतान कोक्यों न लटकाया वन काटने वाले शैतान को,
बिना सोचे तूने सीधी सजा दी मेरे किसान को।

शुक्र हैं कि बच्चे अब शर्म से नही मरेंगेशुक्र हैं कि बच्चे अब शर्म से नही मरेंगे,
चुल्लू भर पानी खुदा दे, दुआँ करेंगे।

यू आसमा पे पहुच रही कीमते खाद्यान कीयू आसमा पे पहुच रही कीमते खाद्यान की,
फिर भी बिना ऋण विदा हो सकी लाडली किसान की।

देवताओं से भी हल नहीं हुई जिन्दगी कही सरल नही हुईदेवताओं से भी हल नहीं हुई,
जिन्दगी कही सरल नही हुई,
कि अबके साल फिर यही हुआ
अबके साल फिर फसल नही हुई।

किसानो से अब कहाँ वो मुलाकात करते हैंकिसानो से अब कहाँ वो मुलाकात करते हैं,
बस ऱोज नये ख्वाबो की बात करते हैं।

टूटा-फूटा घर मेरा बस दो वक़्त की रोटी हैटूटा-फूटा घर मेरा,
बस दो वक़्त की रोटी है,
हम बुरी हालातों से लड़ने वाले किसान,
हमारी जिंदगी बहुत छोटी हैं।

ये सिलसिला क्या यूँ ही चलता रहेगाये सिलसिला क्या यूँ ही चलता रहेगा,
सियासत अपनी चालों से,
कब तक किसान को छलता रहेगा।

खाया खूब खाया दावते उड़ाई जो बचा था कचरा पात्र में थाखाया, खूब खाया, दावते उड़ाई,
जो बचा था, कचरा पात्र में था,
और जो भूखा था वो किसान था,
वो भूखा भी इसीलिए था क्योंकि वो किसान था।

एक ईमानदार किसान को डरे सहमे हुए देखा हैएक ईमानदार किसान को डरे सहमे हुए देखा है,
मेहनत करने के बावजूद भूख से लड़ते हुए देखा है।

ये मौसम भी कितना बेईमान हैंये मौसम भी कितना बेईमान हैं,
बारिश न होने की वजह से मरा इक किसान हैं।

छत टपकती हैं उसके कच्चे मकान कीछत टपकती हैं उसके कच्चे मकान की,
फिर भी बारिश हो जाये, तमन्ना हैं किसान की।

नंगे पैर बारिश में जब एक किसान खेतो में जाता हैनंगे पैर बारिश में जब एक किसान खेतो में जाता है,
तभी महकता हुआ बासमती आपके घर आता है।

कहाँ ले जाओगे किसान के हक का दानाकहाँ ले जाओगे किसान के हक का दाना,
इस दुनिया को एक दिन तुमको भी है छोड़ जाना।

नही हुआ हैं अभी सवेरा पूरब की लाली पहचाननही हुआ हैं अभी सवेरा,
पूरब की लाली पहचान,
चिडियों के उठने से पहले,
खाट छोड़ उठ गया किसान।

देर शाम खेत से किसान घर नहीं आता हैदेर शाम खेत से किसान घर नहीं आता है,
तो बच्चों का मासूम दिल सहम जाता है।

चीर के जमीन को मैं उम्मीद बोता हूँचीर के जमीन को, मैं उम्मीद बोता हूँ।
मैं किसान हूँ, चैन से कहाँ सोता हूँ।

ऐ ख़ुदा बस एक ख़्वाब सच्चा दे देऐ ख़ुदा बस एक ख़्वाब सच्चा दे दे,
अबकी बरस मानसून अच्छा दे दे,

खेतों को जब पानी की जरूरत होती हैखेतों को जब पानी की जरूरत होती है,
तो आसमान बरसता है या तो आँखें।


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