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Home Kisan Shayari Kisan Shayari in Hindi - किसान शायरी इन हिंदी

चीर के जमीन को मैं उम्मीद बोता हूँ

चीर के जमीन को मैं उम्मीद बोता हूँचीर के जमीन को, मैं उम्मीद बोता हूँ।
मैं किसान हूँ, चैन से कहाँ सोता हूँ।

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खाया खूब खाया दावते उड़ाई जो बचा था कचरा पात्र में थाखाया, खूब खाया, दावते उड़ाई,
जो बचा था, कचरा पात्र में था,
और जो भूखा था वो किसान था,
वो भूखा भी इसीलिए था क्योंकि वो किसान था।

कितना भी डिजीट्ल हो जाये हिन्दूस्तानकितना भी डिजीट्ल हो जाये हिन्दूस्तान,
लेकिन देश की शान, देश का किसान।

अपनी फसलों को आधे भाव में बेचकर भीअपनी फसलों को आधे भाव में बेचकर भी,
वो किसान हमेशा खुश रहता हैं।
क्योंकि उसे अपनी कमाई से ज्यादा,
दूसरों का पेट भरने में आनंद आता हैं।

किसान की आह जो दिल से निकाली जाएगीकिसान की आह जो दिल से निकाली जाएगी,
क्या समझते हो कि ख़ाली जाएगी।

जमीन जल चुकी है आसमान बाकी हैजमीन जल चुकी है आसमान बाकी है,
सूखे कुएँ तुम्हारा इम्तहान बाकी है,
वो जो खेतों की मेढ़ों पर उदास बैठे हैं,
उनकी आखों में अब तक ईमान बाकी है,

जो अपने कांधे पर देखो खुद हल लेकर चलता हैजो अपने कांधे पर देखो खुद हल लेकर चलता है,
आज उसी की कठिनाइयों का हल क्यों नही निकलता है,
है जिससे उम्मीद उन्हें बस चिंता है मतदान की,
टूटी माला जैसे बिखरी किस्मत आज किसान की।

नही हुआ हैं अभी सवेरा पूरब की लाली पहचाननही हुआ हैं अभी सवेरा,
पूरब की लाली पहचान,
चिडियों के उठने से पहले,
खाट छोड़ उठ गया किसान।

यू आसमा पे पहुच रही कीमते खाद्यान कीयू आसमा पे पहुच रही कीमते खाद्यान की,
फिर भी बिना ऋण विदा हो सकी लाडली किसान की।

परिश्रम की मिसाल हैं जिस पर कर्जो के निशान हैंपरिश्रम की मिसाल हैं,
जिस पर कर्जो के निशान हैं,
घर चलाने में खुद को मिटा दिया,
और कोई नही वह किसान हैं।

देर शाम खेत से किसान घर नहीं आता हैदेर शाम खेत से किसान घर नहीं आता है,
तो बच्चों का मासूम दिल सहम जाता है।

नंगे पैर बारिश में जब एक किसान खेतो में जाता हैनंगे पैर बारिश में जब एक किसान खेतो में जाता है,
तभी महकता हुआ बासमती आपके घर आता है।

कहाँ ले जाओगे किसान के हक का दानाकहाँ ले जाओगे किसान के हक का दाना,
इस दुनिया को एक दिन तुमको भी है छोड़ जाना।

घटाएँ उठती हैं बरसात होने लगती हैघटाएँ उठती हैं, बरसात होने लगती है,
जब आँख भर के फ़लक को किसान देखता है।

देवताओं से भी हल नहीं हुई जिन्दगी कही सरल नही हुईदेवताओं से भी हल नहीं हुई,
जिन्दगी कही सरल नही हुई,
कि अबके साल फिर यही हुआ
अबके साल फिर फसल नही हुई।

टूटा-फूटा घर मेरा बस दो वक़्त की रोटी हैटूटा-फूटा घर मेरा,
बस दो वक़्त की रोटी है,
हम बुरी हालातों से लड़ने वाले किसान,
हमारी जिंदगी बहुत छोटी हैं।

वो जो खेतों की मेढ़ों पर उदास बैठे हैंवो जो खेतों की मेढ़ों पर उदास बैठे हैं,
उनकी आखों में अब तक ईमान बाकी है,
बादलों बरस जाना समय पर इस बार,
किसी का मकान गिरवी तो किसी का लगान बाकी है।

उन घरो में जहाँ मिट्टी के घड़े रहते हैंउन घरो में जहाँ मिट्टी के घड़े रहते हैं,
कद में छोटे हो, मगर लोग बड़े रहते हैं।

छत टपकती हैं उसके कच्चे मकान कीछत टपकती हैं उसके कच्चे मकान की,
फिर भी बारिश हो जाये, तमन्ना हैं किसान की।

दीवार क्या गिरी किसान के कच्चे मकान कीदीवार क्या गिरी किसान के कच्चे मकान की,
नेताओ ने उसके आँगन में रस्ता बन दिया।

चीर के जमीन को मैं उम्मीद बोता हूँचीर के जमीन को, मैं उम्मीद बोता हूँ।
मैं किसान हूँ, चैन से कहाँ सोता हूँ।


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