क्या कहूं उस पिता के बारे में,
जिसने सोचा नहीं कभी खुद के बारे में,
पापा आपने मुझे जिंदगी भर दिया है,
आपका तहे दिल से बहुत शुक्रिया है।
कभी हँसी और ख़ुशी का मेला है पिता,
कभी कितना अकेला और तन्हा है पिता,
माँ तो कह देती है अपने दिल की बात,
सब कुछ समेट के आसमान सा फैला है पिता।
मुझे मोहब्बत है अपने हाथों की सब ऊँगलियों से,
ना जाने पापा ने कौनसी ऊँगली को पकड़कर,
मुझे चलना सिखाया था।
मेरी रब से एक गुज़ारिश है,
छोटी सी लगानी एक सिफारिश है,
रहे जीवन भर खुश मेरे पापा,
बस इतनी सी मेरी ख्वाहिश है।
कभी हंसी और खुशी का मेला है पिता,
कभी कितना तन्हा और अकेला है पिता,
माँ तो कह देती है अपने दिल की बात,
सब कुछ समेट के आसमान सा फैला है पिता।
कोई चाहे कुछ भी कहे,
लेकिन ये बात पक्की होती है,
की पिता की डाट में भी,
बेटे की तरक्की होती है।
न रात दिखाई देती है,
न दिन दिखाई देते हैं,
पिता को तो बस परिवार के,
हालात दिखाई देते हैं।