प्यार में कोई तो दिल तोड़ देता है,
दोस्ती में कोई तो भरोसा तोड़ देता है,
ज़िंदगी जीना तो कोई ग़ुलाब से सीखे,
जो खुद टूट कर दो दिलों को जोड़ देता है।
बात भरोसे की ना कर ऐ दिल तू किसी गैर से,
मौसम से ज्यादा, इन्ही लोगों को बदलते देखा है मैंने।
मैंने तुम पर भरोसा किया,
पर तुमने मुझे धोखा दिया,
अब किसी और पे ना भरोसा होगा,
और ना किसी से दोबारा प्यार होगा।
हर इक पल सामने मेरे तुम्हारा ही ये चेहरा हो,
तुम्हारी ही महक लाता हवाओं का ये पहरा हो,
तुम्हारे प्यार में पागल हुआ दिल कह रहा है अब,
तुम्हें मुझ पर भरोसा और गहरा और गहरा हो।
क्यो भरोसा करू किसी और पर,
जब खुद की आंखे खुद को धोखा दे।
आज शाम हुई कल फिर सूरज निकलेगा,
भरोसा रख अपने आप पर हर पल तू निखरेगा।
ना रुक ना झुक, रख भरोसा बस चलता जा,
मंज़िल ना मिले तब तक बस बढ़ता जा।
अब इन लहरो पर क्या भरोसा करूं,
जब वो मेरे विपरीत ही चल रही है,
मुझे तो इन हवाओं पर भरोसा है,
जो मेरे पतवार को सहारा दे रही है।
झड़ गए पत्ते उम्मीदों के सारे,
मग़र जड़ भरोसे की मजबूत बहुत है।
जब सब तोल रहे थे मुझे ना उम्मीदी के तराज़ू में,
एक वही तो था जिसने भरोसा जताया मुझ में।