क़दर पिता की कोई जान लेगा,
अपनी जन्नत को दुनिया में ही पहचान लेगा।
बेटे होने का फ़र्ज कभी तुम भी निभाना,
जब पिता ना कहे तो उनकी मजबूरी समझ जाना।
जब भी पिताजी बाज़ार जाते हैं,
मेरे लिये ज़रूर कुछ लाते हैं।
मेरे कदम कैसे डगमगाएंगे,
मुझे मेरे पापा ने चलना सिखाया हैं।
पिता उस दीये की तरह हैं,
जो खुद जलकर, औलाद का जीवन रौशन करते हैं।
मुझे मोहब्बत है अपने हाथों की सब ऊँगलियों से,
ना जाने पापा ने कौनसी ऊँगली को पकड़कर,
मुझे चलना सिखाया था।
न रात दिखाई देती है,
न दिन दिखाई देते हैं,
पिता को तो बस परिवार के,
हालात दिखाई देते हैं।
तोतली जुबान से निकला पहला शब्द,
उसे सारे जहाँ की खुशियाँ दे जाता है,
बच्चों में ही उसे नजर आती है जिंदगी अपनी,
उनके लिए तो ‘पिता’ अपनी जिंदगी दे जाता है।
आँखों के सामने हर पल आपको पाया है,
अपने दिल में सिर्फ आपको ही बसाया है,
आपके बिना हम जियें भी तो कैसे,
भला अपनी अपनी जान के बिना भी कोई जी पाया है।
ऊँगली पकड़ कर चलाते हैं पापा,
गिरने पर उठने का साहस बढ़ाते है पापा।
नींद अपनी भुला के सुलाया हमको,
आंसू अपने गिरा के हास्य हमको,
दर्द कभी न देना उस खुदा की तस्वीर को,
ज़माने में बाप कहते है जिसको।
अगर मैं रास्ता भटक जाऊं,
मुझे फिर राह दिखाना पापा,
आपकी ज़रुरत हर कदम पर होगी,
नहीं और कोई आपसे बेहतर चाहने वाला।
दुनिया की भीड़ में सबसे करिब जो है वो,
मेरे पापा खुदा मेरी तक़दीर वो है।
खून का भी एक रंग होता हैं,
पुत्र पिता का अंग होता हैं।
क्या कहूं उस पिता के बारे में,
जिसने सोचा नहीं कभी खुद के बारे में,
पापा आपने मुझे जिंदगी भर दिया है,
आपका तहे दिल से बहुत शुक्रिया है।
नींद अपनी भुला के सुलाया हमकों,
आंसू अपने गिरा के हँसाया हमको,
लिए गोद में झुलाया हमको,
जीवन की हर ख़ुशी से पापा आपने मिलाया हमकों।
बाप बेटे में अक्सर होती हैं बात,
पर बेटे नहीं समझ पाते पिता के दिल के जज्बात।
मन की बात जो पल में जान ले,
आंखों से जो हर बात पढ़ ले,
दर्द हो या खुशी, हर बात को पल में जान ले।
पापा ही तो है, जो आपको बेपनाह प्यार दे।
चट्टानों सी हिम्मत और,
जज्बातों का तुफान लिए चलता है,
पूरा करने की जिद से पिता,
दिल में बच्चों के अरमान लिए चलता है।
जलती धूप में वो आरामदायक छाँव है,
मेलों में कंधे पर लेकर चलने वाला पाँव है,
मिलती है जिंदगी में हर ख़ुशी उसके होने से,
कभी भी उल्टा नहीं पड़ता पिता वो दांव है।