खुशिया जहाँ की सारी मिल जाती है,
जब पापा की गोद में झपकी मिल जाती है।
बेटे होने का फ़र्ज कभी तुम भी निभाना,
जब पिता ना कहे तो उनकी मजबूरी समझ जाना।
उसकी रातें भी जग कर कट जाती हैं,
परिवार के सपनों के लिए,
कितना भी हो पिता मजबूर ही सही,
पर हमारी जिंदगी में इक ठाठ लिए रहता है।
पिता उस दीये की तरह हैं,
जो खुद जलकर, औलाद का जीवन रौशन करते हैं।
पिता हारकर बाज़ी हमेशा मुस्कुराया,
शतरंज की उस जीत को मैं अब समझ पाया।
मेरा वजूद, मेरी पहचान,
मेरी जिंदगी सब आपसे ही है पापा।
अपने बच्चो की ख्वाहिशो को पूरा करते करते,
उस पिता ने खुद को कितना खो दिया पता ही नहीं चला।
मंजिल दूर और सफ़र बहुत है,
छोटी सी जिन्दगी की फिकर बहुत है,
मार डालती ये दुनिया कब की हमे,
लेकिन पापा के प्यार में असर बहुत है।
जलती धूप में वो आरामदायक छाँव है,
मेलों में कंधे पर लेकर चलने वाला पाँव है,
मिलती है जिंदगी में हर ख़ुशी उसके होने से,
कभी भी उल्टा नहीं पड़ता पिता वो दांव है।
सबसे खुशकिस्मत है वह इंसान,
जिसके पास है पिता के प्यार की बेशुमार दौलत।
मुझे मोहब्बत है अपने हाथों की सब ऊँगलियों से,
ना जाने पापा ने कौनसी ऊँगली को पकड़कर,
मुझे चलना सिखाया था।
खून का भी एक रंग होता हैं,
पुत्र पिता का अंग होता हैं।
सख्त सी आवाज में कहीं प्यार छिपा सा रहता है,
उसकी रगों में हिम्मत का एक दरिया सा बहता है,
कितनी भी परेशानियां और मुसीबतें पड़ती हों उस पर,
हंस कर झेल जाता है ‘पिता’ किसी से कुछ न कहता है।
कोई चाहे कुछ भी कहे,
लेकिन ये बात पक्की होती है,
की पिता की डाट में भी,
बेटे की तरक्की होती है।
प्यारे पापा के प्यार भरे सीने से जो लग जाते हैं,
सच कहती हूँ विश्वास करो, जीवन में सदा सुख पाते हैं।
ऊँगली पकड़ कर चलाते हैं पापा,
गिरने पर उठने का साहस बढ़ाते है पापा।
दुनिया की भीड़ में सबसे करिब जो है वो,
मेरे पापा खुदा मेरी तक़दीर वो है।
छोटे छोटे संकट के लिये माँ याद आती है,
मगर बड़े संकट के वक़्त पिता याद आते हैं।
क़दर पिता की कोई जान लेगा,
अपनी जन्नत को दुनिया में ही पहचान लेगा।
नींद अपनी भुला के सुलाया हमको,
आंसू अपने गिरा के हास्य हमको,
दर्द कभी न देना उस खुदा की तस्वीर को,
ज़माने में बाप कहते है जिसको।