मेरा वजूद, मेरी पहचान,
मेरी जिंदगी सब आपसे ही है पापा।
क़दर पिता की कोई जान लेगा,
अपनी जन्नत को दुनिया में ही पहचान लेगा।
आँखों के सामने हर पल आपको पाया है,
अपने दिल में सिर्फ आपको ही बसाया है,
आपके बिना हम जियें भी तो कैसे,
भला अपनी अपनी जान के बिना भी कोई जी पाया है।
पिता की नजरें थोड़ी शक्की होती हैं,
पर उनके गुस्से में बेटे की तरक्की होती हैं।
खून का भी एक रंग होता हैं,
पुत्र पिता का अंग होता हैं।
नींद अपनी भुला के सुलाया हमकों,
आंसू अपने गिरा के हँसाया हमको,
लिए गोद में झुलाया हमको,
जीवन की हर ख़ुशी से पापा आपने मिलाया हमकों।
खुशिया जहाँ की सारी मिल जाती है,
जब पापा की गोद में झपकी मिल जाती है।
कोई चाहे कुछ भी कहे,
लेकिन ये बात पक्की होती है,
की पिता की डाट में भी,
बेटे की तरक्की होती है।
जब भी पिताजी बाज़ार जाते हैं,
मेरे लिये ज़रूर कुछ लाते हैं।
मेरे होठों की हँसी मेरे पापा की बदोलत है,
मेरी आँखों में खुशी मेरे पापा की बदोलत है,
पापा किसी खुदा से कम नही क्योकि,
मेरी ज़िन्दगी की सारी खुशी पापा की बदोलत है।