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Home Papa Shayari Papa Ke Liye Shayari in Hindi - पापा के लिए शायरी इन हिंदी

कभी हंसी और खुशी का मेला है पिता

कभी हंसी और खुशी का मेला है पिताकभी हंसी और खुशी का मेला है पिता,
कभी कितना तन्हा और अकेला है पिता,
माँ तो कह देती है अपने दिल की बात,
सब कुछ समेट के आसमान सा फैला है पिता।

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आँखों के सामने हर पल आपको पाया हैआँखों के सामने हर पल आपको पाया है,
अपने दिल में सिर्फ आपको ही बसाया है,
आपके बिना हम जियें भी तो कैसे,
भला अपनी अपनी जान के बिना भी कोई जी पाया है।

आज भी मेरी फरमाइशें कम नही होतीआज भी मेरी फरमाइशें कम नही होती,
तंगी के आलम में भी, पापा की आँखें कभी नम नहीं होती।

दुनिया की भीड़ में सबसे करिब जो है वोदुनिया की भीड़ में सबसे करिब जो है वो,
मेरे पापा खुदा मेरी तक़दीर वो है।

पिता जमीर है पिता जागीर हैपिता जमीर है पिता जागीर है,
जिसके पास ये है वह सबसे अमीर है।

प्यारे पापा के प्यार भरे सीने से जो लग जाते हैंप्यारे पापा के प्यार भरे सीने से जो लग जाते हैं,
सच कहती हूँ विश्वास करो, जीवन में सदा सुख पाते हैं।

सिमटती दिखे उन्हें मेरी ख्वाहिशे अगरसिमटती दिखे उन्हें मेरी ख्वाहिशे अगर,
दाल देते है पापा परदे अपनी निजी ज़रूरतों पर।

मंजिल दूर और सफ़र बहुत हैमंजिल दूर और सफ़र बहुत है,
छोटी सी जिन्दगी की फिकर बहुत है,
मार डालती ये दुनिया कब की हमे,
लेकिन पापा के प्यार में असर बहुत है।

पिता उस दीये की तरह हैं जो खुद जलकरपिता उस दीये की तरह हैं,
जो खुद जलकर, औलाद का जीवन रौशन करते हैं।

खुशिया जहाँ की सारी मिल जाती हैखुशिया जहाँ की सारी मिल जाती है,
जब पापा की गोद में झपकी मिल जाती है।

मेरा वजूद मेरी पहचान मेरी जिंदगी सब आपसे ही है पापामेरा वजूद, मेरी पहचान,
मेरी जिंदगी सब आपसे ही है पापा।

पिता हारकर बाज़ी हमेशा मुस्कुरायापिता हारकर बाज़ी हमेशा मुस्कुराया,
शतरंज की उस जीत को मैं अब समझ पाया।

बचपन से लेके आज तक कमी नहीं रखीबचपन से लेके आज तक कमी नहीं रखी,
हमारी आंख में कभी नमीं नहीं रखी,
जीते जी सब कुछ हमारे नाम कर दिया,
पिता ने अपने नाम एक ज़मीं नहीं रखी।

खून का भी एक रंग होता हैं पुत्र पिता का अंग होता हैंखून का भी एक रंग होता हैं,
पुत्र पिता का अंग होता हैं।

अगर मैं रास्ता भटक जाऊं मुझे फिर राह दिखाना पापाअगर मैं रास्ता भटक जाऊं,
मुझे फिर राह दिखाना पापा,
आपकी ज़रुरत हर कदम पर होगी,
नहीं और कोई आपसे बेहतर चाहने वाला।

कभी हंसी और खुशी का मेला है पिताकभी हंसी और खुशी का मेला है पिता,
कभी कितना तन्हा और अकेला है पिता,
माँ तो कह देती है अपने दिल की बात,
सब कुछ समेट के आसमान सा फैला है पिता।

छोटे छोटे संकट के लिये माँ याद आती हैछोटे छोटे संकट के लिये माँ याद आती है,
मगर बड़े संकट के वक़्त पिता याद आते हैं।

कभी हँसी और ख़ुशी का मेला है पिताकभी हँसी और ख़ुशी का मेला है पिता,
कभी कितना अकेला और तन्हा है पिता,
माँ तो कह देती है अपने दिल की बात,
सब कुछ समेट के आसमान सा फैला है पिता।

मुझे मोहब्बत है अपने हाथों की सब ऊँगलियों सेमुझे मोहब्बत है अपने हाथों की सब ऊँगलियों से,
ना जाने पापा ने कौनसी ऊँगली को पकड़कर,
मुझे चलना सिखाया था।

मुझे रख दिया छाँव में खुद जलते रहे धूप मेंमुझे रख दिया छाँव में खुद जलते रहे धूप में,
मैंने देखा है ऐसा एक फरिश्ता अपने पिता के रूप में।

न रात दिखाई देती है न दिन दिखाई देते हैंन रात दिखाई देती है,
न दिन दिखाई देते हैं,
पिता को तो बस परिवार के,
हालात दिखाई देते हैं।


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