मंजिल दूर और सफ़र बहुत है,
छोटी सी जिन्दगी की फिकर बहुत है,
मार डालती ये दुनिया कब की हमे,
लेकिन पापा के प्यार में असर बहुत है।
क़दर पिता की कोई जान लेगा,
अपनी जन्नत को दुनिया में ही पहचान लेगा।
वो जमीन मेरी वो ही आसमान है,
वो खुदा मेरा वो ही भगवान है,
क्यों मैं जाऊं उसे कहीं छोड़ के,
पापा के कदमों में सारा जहान है।
न रात दिखाई देती है,
न दिन दिखाई देते हैं,
पिता को तो बस परिवार के,
हालात दिखाई देते हैं।
छोटे छोटे संकट के लिये माँ याद आती है,
मगर बड़े संकट के वक़्त पिता याद आते हैं।
ऊँगली पकड़ कर चलाते हैं पापा,
गिरने पर उठने का साहस बढ़ाते है पापा।
दुनिया की भीड़ में सबसे करिब जो है वो,
मेरे पापा खुदा मेरी तक़दीर वो है।
जलती धूप में वो आरामदायक छाँव है,
मेलों में कंधे पर लेकर चलने वाला पाँव है,
मिलती है जिंदगी में हर ख़ुशी उसके होने से,
कभी भी उल्टा नहीं पड़ता पिता वो दांव है।
मेरी रब से एक गुज़ारिश है,
छोटी सी लगानी एक सिफारिश है,
रहे जीवन भर खुश मेरे पापा,
बस इतनी सी मेरी ख्वाहिश है।
बेमतलब सी दुनिया में वह ही हमारी शान हैं,
किसी शख़्स के वजूद की पिता ही पहली पहचान हैं।
पिता हारकर बाज़ी हमेशा मुस्कुराया,
शतरंज की उस जीत को मैं अब समझ पाया।
आँखों के सामने हर पल आपको पाया है,
अपने दिल में सिर्फ आपको ही बसाया है,
आपके बिना हम जियें भी तो कैसे,
भला अपनी अपनी जान के बिना भी कोई जी पाया है।
पिता की नजरें थोड़ी शक्की होती हैं,
पर उनके गुस्से में बेटे की तरक्की होती हैं।
बेटे होने का फ़र्ज कभी तुम भी निभाना,
जब पिता ना कहे तो उनकी मजबूरी समझ जाना।
तोतली जुबान से निकला पहला शब्द,
उसे सारे जहाँ की खुशियाँ दे जाता है,
बच्चों में ही उसे नजर आती है जिंदगी अपनी,
उनके लिए तो ‘पिता’ अपनी जिंदगी दे जाता है।
प्यारे पापा के प्यार भरे सीने से जो लग जाते हैं,
सच कहती हूँ विश्वास करो, जीवन में सदा सुख पाते हैं।
मेरे कदम कैसे डगमगाएंगे,
मुझे मेरे पापा ने चलना सिखाया हैं।
सिमटती दिखे उन्हें मेरी ख्वाहिशे अगर,
दाल देते है पापा परदे अपनी निजी ज़रूरतों पर।
मेरा वजूद, मेरी पहचान,
मेरी जिंदगी सब आपसे ही है पापा।
कभी हंसी और खुशी का मेला है पिता,
कभी कितना तन्हा और अकेला है पिता,
माँ तो कह देती है अपने दिल की बात,
सब कुछ समेट के आसमान सा फैला है पिता।