कंधों पर झुलाया कंधों पर घुमाया,
पापा की बदौलत ही मेरा जीवन खूबसूरत बन पाया।
अपने पापा को आज मैं क्या उपहार दूं,
तोहफे दूँ फूलों के या गुलाबो का हार दूं,
मेरी जिंदगी में जो है सबसे प्यारा,
उस पर तो मैं अपनी जिंदगी ही वार दूं।
धरती सा धीरज दिया और आसमान सी उंचाई है,
जिन्दगी को तरस के खुदा ने यह तस्वीर बनाई है,
हर दुख बच्चों का वो खुद पे वो सह लेतें है,
उस खुदा की जीवित प्रतिमा को हम पिता कहते है।
जब तक पिता का रहता है साथ,
जिंदगी में नहीं पकड़ना पड़ता किसी का हाथ।
फुल कभी दोबारा नहीं खिलते,
जन्म कभी दोबारा नहीं मिलते,
मिलते है लोग हजारों दुनिया में,
पर पापा जितने प्यारे नहीं मिलते।
नसीब वाले होते है वो जिनके सर पर,
पिता का हाथ होता है,
परेशानियां कम हो जाती है सब जब,
पिता का घर में वास होता है।
जो चाहूँ वो मिल जाए ये नामुमकिन नहीं,
ये मेरे पापा का घर है कोई किस्मत का खेल नहीं।
पापा मुझको भूल न जाना,
गलतियां मेरे दिल पर मत लाना,
भूल हो जाती हैं मुझ नादान से,
अपने बेटे को हमेशा गले लगाना।
मेरे होठों की हँसी मेरे पापा की बदोलत है,
मेरी आँखों में खुशी मेरे पापा की बदोलत है ,
पापा किसी खुदा से कम नही,
क्योकि मेरी ज़िन्दगी की सारी खुशी पापा की बदोलत है।
चंद सिक्को में कहा तुम को वफा मिलती है,
बाप के हाथ भी चुमो तो दुआ मिलती है,
तुम मोहब्बत की नजर से उन्हे देखो यारो,
उन की मुस्कान में जन्नत की अदा मिलती है।