तुमको बारिश पसंद है मुझे बारिश में तुम,
तुमको हँसना पसंद है मुझे हस्ती हुए तुम,
तुमको बोलना पसंद है मुझे बोलते हुए तुम,
तुमको सब कुछ पसंद है और मुझे बस तुम।
ये बारिश भी कितनी अजीब है,
पूरे तन को तो भीगा देती है,
मगर उसके सामने आँसू छुपाने में,
मेरी मदद नहीं कर पाती है।
आज आई बारिश तो याद आया वो जमाना,
वो तेरा छत पे रहना और मेरा सडको पे नहाना।
पूछते थे ना कितना प्यार है तुम्हे हमसे,
लो अब गिन लो... बारिश की ये बूँदें।
बारिश और मोहब्बत दोनो ही यादगार होते हैं,
बारिश में जिस्म भीगता है और मोहब्बत में आँखें।
आज मौसम कितना खुश गंवार हो गया,
खत्म सभी का इंतज़ार हो गया,
बारिश की बूंदे गिरी कुछ इस तरह से,
लगा जैसे आसमान को ज़मीन से प्यार हो गया।
आज जम कर बारिश आई,
तुम बारिश में भीग ली,
और तुम्हें बारिश में भीगते देख,
मैं प्रेम कविताओं में भीग रहा हूं।
बारिश थी, भीगी रात थी, मैं भीगता रहा,
क़दमों के तेरे सब निशान मैं खोजता रहा।
मत पूछो कितनी मोहब्बत है मुझे उनसे,
बारिश की बूँद भी अगर उन्हें छू जाती है,
तो दिल में आग लग जाती है।
बहुत दिनों से थी ये आसमान की साजिश,
आज पुरी हुई उनकी ख्वाहिश,
भीग लो अपनों को याद कर के,
मुबारक हो आपको साल की ये पहली बारिश।