ये बारिश भी कितनी अजीब है,
पूरे तन को तो भीगा देती है,
मगर उसके सामने आँसू छुपाने में,
मेरी मदद नहीं कर पाती है।
कहीं फिसल न जाओ जरा संभल के चलना,
मौसम बारिश का भी है और मोहब्बत का भी।
आज हल्की हल्की बारिश है,
आज सर्द हवा का रक्स भी है,
आज फूल भी निखरे निखरे हैं,
आज उनमे तुम्हारा अक्स भी है।
सुना है बारिश में दुआ क़बूल होती है,
अगर हो इज्जाजत तो मांग लू तुम्हे?
ये मौसम है बारिश का और याद तुम्हारी आती है,
बारिश के हर कतरे से आवाज़ तुम्हारी आती है,
बादल जब गरजते हैं दिल की धड़कन बढ़ जाती है,
दिल की हर एक धड़कन से आवाज़ तुम्हारी आती है,
ये इश्क़ का मौसम अजीब है जनाब,
इस बारिश में कई रिश्ते धुल जाते है,
बेगानों से करते है मोहब्बत कुछ लोग,
और अपनों के ही आंसू भूल जाते है।
बारिश थी, भीगी रात थी, मैं भीगता रहा,
क़दमों के तेरे सब निशान मैं खोजता रहा।
तुम्हें बारिश पसंद है मुझे बारिश में तुम,
तुम्हें हँसना पसंद है मुझे हस्ती हुए तुम,
तुम्हें बोलना पसंद है मुझे बोलते हुए तुम,
तुम्हें सब कुछ पसंद है और मुझे बस तुम।
ज़रा ठहरो, बारिश थम जाए तो फिर चले जाना,
किसी का तुझ को छू लेना मुझे अच्छा नहीं लगता।
दिल की बातें कौन जाने,
मेरे हालात को कौन जाने,
बस बारिश का मौसम है,
मेरी प्यास का एहसास कौन जाने।
ए बारिश ज़रा थम के बरस,
जब मेरा यार आ जाए तो जम के बरस,
पहले ना बरस की वो आ ना सके,
फिर इतना बरस की वो जा ना सके।
बारिश में आज भीग जाने दो,
बूंदों को आज बरस जाने दो,
न रोको यूँ खुद को आज,
भीग जाने दो इस दिल को आज।
हम भीगते हैं जिस तरह से तेरी यादों में डूबकर,
इस बारिश में कहाँ वो कशिश तेरे ख्यालों जैसी।
पेडों की तरह हुस्न की बारिश में नहा लूं,
बादल की तरह झूम के घिर आओ किसी दिन।
बारिश की बौछार जब चहरें पर पड़ती हैं,
वो बचपन की याद ताजा हो जाती हैं,
वो बचपन मे कागज की नाव बना कर,
बारिश की पानी में मस्ती याद आती है।
ये बारिश की बूंदे प्यार भरा संगीत है,
हवा के साथ अठखेलियां करती हैं,
खिड़कियां खोल कर इन्हें छूने का,
इंतजार आज भी हथेलियां करती हैं।
आज जम कर बारिश आई,
तुम बारिश में भीग ली,
और तुम्हें बारिश में भीगते देख,
मैं प्रेम कविताओं में भीग रहा हूं।
बादल जब गरजते हैं दिल की धड़कन बढ़ जाती है,
दिल की हर एक धड़कन से आवाज़ तुम्हारी आती है,
जब तेज हवाएं चलती हैं तो जान हमारी जाती है,
ये मौसम है बारिश का और याद तुम्हारी आती है।
सुना है बहुत बारिश है तुम्हारे शहर में,
ज्यादा भीगना मत,
अगर धूल गई सारी ग़लतफहमियां,
तो फिर बहुत याद आएंगे हम।
बारिश के पानी को अपने हाथों में समेट लो,
जितना आप समेट पाये उतना आप हमें चाहते है,
और जितना न समेट पाए उतना हम आप को चाहते है।