मेरे दिल का दर्द किसने देखा है,
मुझे बस खुदा ने तड़पते देखा है,
हम तन्हाई में बैठे रोते है,
लोगों ने हमें महफिल में हंसते देखा है।
आज उस की आँखों मे आँसू आ गये,
वो बच्चो को सिखा रही थी की
मोहब्बत ऐसे लिखते है।
कोई हमेशा जरूरी नही होता जिंदगी में,
या तो जरुरते बदल जाती है,
या लोग बदल जाते है।
यूँ तो सिखाने को जिंदगी
बहुत कुछ सिखाती है मगर,
झूठी हंसी हसने का हुनर
तो मोहब्बत ही सिखाती है।
किसी को अब क्या बुरा समझना,
बुरे तो हम है
जो हर किसी को अच्छा समझ बैठते है।
उम्मीद से बढ़कर निकली तुम तो,
मैंने तो सोचा था दिल ही तोड़ोगी
तुमने तो मुझे ही तोड़ दिया।
किसी इंसान को दर्द देना इतना आसान होता है
जितना समुद्र में पत्थर फेकना,
लेकिन यह कोई नहीं जनता की वह कितनी
गहराई तक गया होगा।
जिंदगी मे जो हम चाहते है
वो आसानी से नही मिलता,
लेकिन हम भी वही चाहते है
जो हमें आसानी से नही मिलता।
किसी का ये सोचकर साथ मत छोड़ना
की उसके पास कुछ नही तुम्हे देने के लिए।
बस ये सोचकर साथ निभाना की
उसके पास कुछ नही तुम्हारे सिवा खोने के लिए।
वो जा रही थी
और मैं खामोश खड़ा देखता रहा,
क्योंकि सुना था कि पीछे से आवाज़ नहीं देते।
टूट कर बिखर जाते है वो लोग
मिटटी की दीवारों की तरह,
जो खुद से भी ज्यादा
किसी और से प्यार करते है।
लोग कहते है दु:ख बुरा होता है
जब भी आता है रुलाकर जाता है,
लेकिन हम कहते दु:ख अच्छा होता है
जब भी आता है कुछ सीखा कर जाता है।
हिम्मत नही अब मुझमें,
मैं खुद को साबित करूँ,
अब तो जो जैसा समझे
उसके लिए वैसा ही हूं मैं।
ये एक तरफा प्यार भी बहुत अज़ीब होता है,
हमेशा डर लगा रहता है की,
कोई उन्हें हम से चुरा न ले।
न रहा करो उदास किसी बेवफा की याद में,
वो खुश है अपनी दुनिया में
तुम्हारी दुनिया उजाड़ के।
तु रूठी-रूठी सी रहती है ए ज़िंदगी,
कोई तरकीब बता तुझे मनाने की,
मैं साँसे गिरवी रख दूँगा अपनी,
बस तूं कीमत बता अपनी मुस्कुराने की।
सोचा था बताएंगे हर एक दर्द तुमको,
लेकिन तुमने तो इतना भी न पूँछा
की खामोश क्यों हो।
पागल नही थे हम
जो तेरी हर बात मानते थे,
बस तेरी खुशी से ज्यादा
कुछ चाहा ना था हमने।
शिकायत है उन्हें कि
हमें मोहब्बत करना नहीं आता,
शिकवा तो इस दिल को भी है
पर इसे शिकायत करना नहीं आता।
ना जाने उसकी बेरूखी हमें क्यों पसंद आई,
ना चाहते हुए भी उससे मोहब्बत हो गई,
उससे शिकवा भी क्या करें हम,
उसने नहीं पसंद तो हमने किया था उसे।
हार माननी ही पड़ी एक नासमझ दिल को,
आखिर कब तक लड़ता
एक मतलबी दिल और चालाक दिमाग से।