सोचा था बताएंगे हर एक दर्द तुमको,
लेकिन तुमने तो इतना भी न पूँछा
की खामोश क्यों हो।
मिल गया उसी को
हमने मुक़द्दर समझ लिया,
ये सौदा ही नहीं कि मिली हुई
चीज को भी खो सकते है हम।
पहले मोहब्बत किया फिर
नजरअंदाज कर के धोखा दिया,
कुछ इस तरह एक शक्स ने
मुझे बड़ी तरकीब से तबाह किया।
सोचा था बताएंगे हर एक दर्द तुमको,
लेकिन तुमने तो इतना भी न पूँछा
की खामोश क्यों हो।
मेरी आंखों से ये डर अभी तक नहीं जाता,
तू उठ कर चली गई मगर यकीन नहीं आता,
जाने वाले लोगों में तुम भी शुमार थे,
मगर तुमसे ज्यादा इतना कोई याद नहीं आता।
जिसकी फितरत ही हमेशा बदलने की हो,
वह कभी किसी का नहीं हो सकता,
चाहे वह समय हो या इंसान।
किसी को अब क्या बुरा समझना,
बुरे तो हम है
जो हर किसी को अच्छा समझ बैठते है।
लोग कहते है दु:ख बुरा होता है
जब भी आता है रुलाकर जाता है,
लेकिन हम कहते दु:ख अच्छा होता है
जब भी आता है कुछ सीखा कर जाता है।
हिम्मत नही अब मुझमें,
मैं खुद को साबित करूँ,
अब तो जो जैसा समझे
उसके लिए वैसा ही हूं मैं।
न रहा करो उदास किसी बेवफा की याद में,
वो खुश है अपनी दुनिया में
तुम्हारी दुनिया उजाड़ के।
बड़ा नादान सा चेहरा था उसका
उसकी चालाकी को मैं समझ ना सका,
वो कहती थी जान हो तुम, फिर चालाकी से
किसी और को अपना जान बना लिया।
जिंदगी मे जो हम चाहते है
वो आसानी से नही मिलता,
लेकिन हम भी वही चाहते है
जो हमें आसानी से नही मिलता।
मिली थी जिन्दगी
किसी के काम आने के लिए,
पर वक्त बित रहा है,
कागज के टुकड़े कमाने के लिए।
जिसने महसूस किया हो सच्चे रिश्ते को
वहीं रिश्तों के टूटने पर रोता है,
वरना मतलब का रिश्ता रखने वालों की
आंखों में न तो शर्म होता है, और न पानी।
आँखें थक गई है आसमान को देखते देखते,
पर वो तारा नहीं टूटता,
जिसे देखकर तुम्हें मांग लूँ।
भरम है तो भरम ही रहने दो,
जानता हूं मोहब्बत नहीं है,
पर जो भी है कुछ देर तो रहने दो।
शिकायत है उन्हें कि
हमें मोहब्बत करना नहीं आता,
शिकवा तो इस दिल को भी है
पर इसे शिकायत करना नहीं आता।
ना जाने उसकी बेरूखी हमें क्यों पसंद आई,
ना चाहते हुए भी उससे मोहब्बत हो गई,
उससे शिकवा भी क्या करें हम,
उसने नहीं पसंद तो हमने किया था उसे।
जिसकी गलतियों को भुला कर
मैने हर बार रिश्ता निभाया,
उसी ने मुझे हर बार
फालतू होने का एहसास दिलाया।
तु रूठी-रूठी सी रहती है ए ज़िंदगी,
कोई तरकीब बता तुझे मनाने की,
मैं साँसे गिरवी रख दूँगा अपनी,
बस तूं कीमत बता अपनी मुस्कुराने की।
इतनी मोहब्बत क्यों की मैंने तुझसे,
अब ये सोच सोच कर भी
मुझे खुद से नफरत होने लगी है।