अजब लुत्फ़ का मंज़र देखता रहता हूँ बारिश में,
बदन जलता है और मैं भीगता रहता हूँ बारिश में।
तुम्हें बारिश पसंद है मुझे बारिश में तुम,
तुम्हें हँसना पसंद है मुझे हस्ती हुए तुम,
तुम्हें बोलना पसंद है मुझे बोलते हुए तुम,
तुम्हें सब कुछ पसंद है और मुझे बस तुम।
मेरी मोहब्बत बेजुबा होती रही,
दिल की धड़कन अपना वजूद खोती रही,
कोई नहीं आया दुख में मेरे करीब,
एक बारिश थी जो मेरे साथ रोती रही।
ए बारिश ज़रा थम के बरस,
जब मेरा यार आ जाए तो जम के बरस,
पहले ना बरस की वो आ ना सके,
फिर इतना बरस की वो जा ना सके।
कीमत बारिश की कोई हम से पूछो,
औरों को तो यह कीचड़ का कारण लगती है,
दिल सुलगता है याद में उसकी,
हर बूँद में बारिश की उसकी सूरत दिखती है।
बारिश के बाद अक्सर,
मेरा दिल डूब सा जाता है,
दोस्त के तू भी कहीं मुझे छोड़ कर
चला न जाये कहीं इन बादलो कि तरह।
इन बारिशों से अदब-ए-मोहब्बत सीखो फ़राज़,
अगर ये रूठ भी जाएँ तो बरसती बहुत हैं।
पेडों की तरह हुस्न की बारिश में नहा लूं,
बादल की तरह झूम के घिर आओ किसी दिन।
बारिश इतनी हुई की तमाम शहर धुल गया,
बस एक तेरे इश्क़ का रंग ही मुझसे न उतरा।
दिल की बातें कौन जाने,
मेरे हालात को कौन जाने,
बस बारिश का मौसम है,
मेरी प्यास का एहसास कौन जाने।