भरम है तो भरम ही रहने दो,
जानता हूं मोहब्बत नहीं है,
पर जो भी है कुछ देर तो रहने दो।
मेरे दिल का दर्द किसने देखा है,
मुझे बस खुदा ने तड़पते देखा है,
हम तन्हाई में बैठे रोते है,
लोगों ने हमें महफिल में हंसते देखा है।
कोई दुआ कर दे मेरे सुकून की
दिल आज दर्द से फटा जा रहा है,
वजह तो पता नही
बस हर बात पे रोना आ रहा है।
हिम्मत नही अब मुझमें,
मैं खुद को साबित करूँ,
अब तो जो जैसा समझे
उसके लिए वैसा ही हूं मैं।
न रहा करो उदास किसी बेवफा की याद में,
वो खुश है अपनी दुनिया में
तुम्हारी दुनिया उजाड़ के।
हार माननी ही पड़ी एक नासमझ दिल को,
आखिर कब तक लड़ता
एक मतलबी दिल और चालाक दिमाग से।
पागल नही थे हम
जो तेरी हर बात मानते थे,
बस तेरी खुशी से ज्यादा
कुछ चाहा ना था हमने।
लोग कहते है दु:ख बुरा होता है
जब भी आता है रुलाकर जाता है,
लेकिन हम कहते दु:ख अच्छा होता है
जब भी आता है कुछ सीखा कर जाता है।
मिल गया उसी को
हमने मुक़द्दर समझ लिया,
ये सौदा ही नहीं कि मिली हुई
चीज को भी खो सकते है हम।
ना जाने उसकी बेरूखी हमें क्यों पसंद आई,
ना चाहते हुए भी उससे मोहब्बत हो गई,
उससे शिकवा भी क्या करें हम,
उसने नहीं पसंद तो हमने किया था उसे।
बड़ा नादान सा चेहरा था उसका
उसकी चालाकी को मैं समझ ना सका,
वो कहती थी जान हो तुम, फिर चालाकी से
किसी और को अपना जान बना लिया।
शिकायत है उन्हें कि
हमें मोहब्बत करना नहीं आता,
शिकवा तो इस दिल को भी है
पर इसे शिकायत करना नहीं आता।
तकलीफ उस वक्त सबसे ज्यादा होता है
जब दिल में कहने को बहुत कुछ हो,
जुबान खामोश हो और
समझने वाला कोई ना हो।
उस मोड़ पर आकर
खड़ी हो गई है ये जिंदगी,
जहाँ चाहत तो होती है मरने कि
लेकिन मजबूरी है जीने की।
कोई हमेशा जरूरी नही होता जिंदगी में,
या तो जरुरते बदल जाती है,
या लोग बदल जाते है।
सोचा था बताएंगे हर एक दर्द तुमको,
लेकिन तुमने तो इतना भी न पूँछा
की खामोश क्यों हो।
किसी का ये सोचकर साथ मत छोड़ना
की उसके पास कुछ नही तुम्हे देने के लिए।
बस ये सोचकर साथ निभाना की
उसके पास कुछ नही तुम्हारे सिवा खोने के लिए।
जिससे उम्मीद हो अगर वही दिल दुखा दे,
तो भरोसा उस इंसान से ही नहीं
पूरी दुनियां से उठ जाता।
टूट कर बिखर जाते है वो लोग
मिटटी की दीवारों की तरह,
जो खुद से भी ज्यादा
किसी और से प्यार करते है।
ये एक तरफा प्यार भी बहुत अज़ीब होता है,
हमेशा डर लगा रहता है की,
कोई उन्हें हम से चुरा न ले।
मेरी आंखों से ये डर अभी तक नहीं जाता,
तू उठ कर चली गई मगर यकीन नहीं आता,
जाने वाले लोगों में तुम भी शुमार थे,
मगर तुमसे ज्यादा इतना कोई याद नहीं आता।