आज हल्की हल्की बारिश है,
आज सर्द हवा का रक्स भी है,
आज फूल भी निखरे निखरे हैं,
आज उनमे तुम्हारा अक्स भी है।
दिल में अनजाना सा एहसास,
जैसे बारिश चुपके से कुछ कह रही है,
न जाने कौन सी कशिश है इस बारिश में,
जो साथ में यादें भी ले आई है।
बरस जाये यहाँ भी कुछ नूर की बारिशें,
के ईमान के शीशों पे बड़ी गर्द जमी है,
उस तस्वीर को भी कर दे ताज़ा,
जिनकी याद हमारे दिल में धुंधली सी पड़ी है।
इन बारिशों से अदब-ए-मोहब्बत सीखो फ़राज़,
अगर ये रूठ भी जाएँ तो बरसती बहुत हैं।
बारिशें कुछ इस तरह से होती रहीं मुझ पे,
ख्वाहिशें सूखती रहीं और पलकें रोतीं रहीं।
बारिश में आज भीग जाने दो,
बूंदों को आज बरस जाने दो,
न रोको यूँ खुद को आज,
भीग जाने दो इस दिल को आज।
तुमको बारिश पसंद है मुझे बारिश में तुम,
तुमको हँसना पसंद है मुझे हस्ती हुए तुम,
तुमको बोलना पसंद है मुझे बोलते हुए तुम,
तुमको सब कुछ पसंद है और मुझे बस तुम।
बारिश का यह मौसम कुछ याद दिलाता है,
किसी के साथ होने का एहसास दिलाता है,
फिजा भी सर्द है यादें भी ताज़ा हैं,
यह मौसम किसी का प्यार दिल में जगाता है।
काश के बरस जाये यहाँ भी कुछ नूर की बारिशें,
के ईमान के शीशों पे बड़ी गर्द जमी है,
उस तस्वीर को भी कर दे ताज़ा,
जिनकी याद हमारे दिल में धुंधली हुई है।
हुई बारिश ज़रा सी सबको अपना काम याद आया,
किसी को प्यार अपना किसी को याद जाम आया।
बारिश के पानी को अपने हाथों में समेट लो,
जितना आप समेट पाये उतना आप हमें चाहते है,
और जितना न समेट पाए उतना हम आप को चाहते है।
वह भी कुछ तड़पा होगा मौसम की पहली बारिश में,
प्यार मेरा याद आया होगा मौसम की पहली बारिश में,
उड़ते उड़ते जब दो बादल एक हुए होंगे पर्वत पर,
उसका दामन भीगा होगा मौसम की पहली बारिश में।
मेरे ख्यालों में वही सपनो में वही,
लेकिन उनकी यादों में हम थे ही नहीं,
हम जागते रहे दुनियां सोती रही,
एक बारिश ही थी जो हमारे साथ रोती रही।
मत पूछो कितनी मोहब्बत है मुझे उनसे,
बारिश की बूँद भी अगर उन्हें छू जाती है,
तो दिल में आग लग जाती है।
ये बारिश भी कितनी अजीब है,
पूरे तन को तो भीगा देती है,
मगर उसके सामने आँसू छुपाने में,
मेरी मदद नहीं कर पाती है।
जाने क्यूँ लोग हमें आज़माते है,
कुछ पल साथ रह कर भी दूर चले जाते है,
सच ही कहा है कहने वाले ने,
सागर के मिलने के बाद लोग बारिश को भूल जाते है।
ए बारिश ज़रा थम के बरस,
जब मेरा यार आ जाए तो जम के बरस,
पहले ना बरस की वो आ ना सके,
फिर इतना बरस की वो जा ना सके।
सुना है बहुत बारिश है तुम्हारे शहर में,
ज्यादा भीगना मत,
अगर धूल गई सारी ग़लतफहमियां,
तो फिर बहुत याद आएंगे हम।
हम बारिश की बुँदे समझ बैठे जिसे,
वो उसकी आँखों से निकले आंसू थे,
दर्द था उसके दिल का वो,
लेकिन हम बारिश की मस्ती में बेकाबू थे।
पूछते थे ना कितना प्यार है तुम्हे हमसे,
लो अब गिन लो... बारिश की ये बूँदें।