कितना धोखा भरा था
तेरे मासूम शकल में,
हम भी पागल थे जो तेरी
इस मासूम सी शकल पर मर गए।
आजकल जरुरत कहां है
हाथों में पत्थर उठाने की,
तोड़ने वाले तो जुबान से भी
दिल को तोड़ जाते है।
जब प्यार करने वाले अपने जज़्बातों को दबाकर
रिश्तों को कोई दूसरा नाम देते है,
तो कभी न कभी कहीं न कहीं
जज्बातों फूट फूटके रोने लगते है।
काश की उसको हम बचपन मे ही मांग लेते,
क्योंकि बचपन में हर चीज मिल जाती थी
तब दो आँसू बहाने से।
कुछ लोगों की जिंदगी में
खुशियाँ लिखी ही नहीं होती,
शायद मैं भी उन्हीं में से एक हूँ।
आप को पता है दर्द किसे कहते है,
दर्द वो होता है जिसमे
जख्म बाहर से नही अंदर से लगा हो।
हम तो तुमसे दूर हुए थे,
अपनी कमी का एहसास दिलाने को,
लेकिन तुमने तो मेरे बिना जीना ही सीख लिया।
ढूंढ तो लेते अपने प्यार को हम,
शहर में भीड़ इतनी भी न थी,
पर रोक दी तलाश हमने,
क्योंकि वो खोये नहीं थे, बदल गये है।
इतनी मोहब्बत क्यों की मैंने तुझसे,
अब ये सोच सोच कर
मुझे खुद से नफरत होने लगी है।
दिल तोड़ने वाले का कुछ नही जाता है,
लेकिन जिसका दिल टूटता है,
उसका सब कुछ चला जाता है।
खामोशियां तो बया कर देती है
दिल के दर्द को मेरे,
पर दिल में दर्द इतना है
कि कुछ बोला नहीं जाता।