इतनी मोहब्बत क्यों की मैंने तुझसे,
अब ये सोच सोच कर
मुझे खुद से नफरत होने लगी है।
जब प्यार करने वाले अपने जज़्बातों को दबाकर
रिश्तों को कोई दूसरा नाम देते है,
तो कभी न कभी कहीं न कहीं
जज्बातों फूट फूटके रोने लगते है।
ढूंढ तो लेते अपने प्यार को हम,
शहर में भीड़ इतनी भी न थी,
पर रोक दी तलाश हमने,
क्योंकि वो खोये नहीं थे, बदल गये है।
हमे देखकर
अनदेखा कर दिया उसने,
बंद आंखों से पहचानने का,
कभी दावा किया था जिसने।
अगर इतनी ही नफ़रत है हमसे,
तो आज ही ऐसी दुआ करो,
की तुम्हारी दुआ भी पूरी हो जाये,
और मेरी ज़िन्दगी भी।
हम तो तुमसे दूर हुए थे,
अपनी कमी का एहसास दिलाने को,
लेकिन तुमने तो मेरे बिना जीना ही सीख लिया।
कितना धोखा भरा था
तेरे मासूम शकल में,
हम भी पागल थे जो तेरी
इस मासूम सी शकल पर मर गए।
काश की उसको हम बचपन मे ही मांग लेते,
क्योंकि बचपन में हर चीज मिल जाती थी
तब दो आँसू बहाने से।
तू मेरी चाहत का एक लफ्ज़ भी नहीं पढ़ सकी,
और मैं तेरे दिए हुए दर्द की किताब
को रोज़ पढ़ते पढ़ते सोता हूँ।
कभी कभी हम गलत नहीं होते,
पर हमारे पास वह शब्द ही नहीं होते
जो हमें सही साबित कर सके।
मोहब्बत तो दिल से की थी
दिमाग उसने लगा लिया,
दिल तोड दिया मेरा उसने
और इल्जाम मुझपर लगा दिया।
कुछ रिश्ते इतने अजीब होते है कि
उन्हें तोड़ने वाला
टूटने वाले से ज्यादा रोता है।
आजकल जरुरत कहां है
हाथों में पत्थर उठाने की,
तोड़ने वाले तो जुबान से भी
दिल को तोड़ जाते है।
हमने हर पल दुआ मांगी थी,
उसके साथ रहने की,
और वो मेरे हर पल साथ है,
लेकिन एक याद बन कर।