बारिश थी, भीगी रात थी, मैं भीगता रहा,
क़दमों के तेरे सब निशान मैं खोजता रहा।
तुम्हें बारिश पसंद है मुझे बारिश में तुम,
तुम्हें हँसना पसंद है मुझे हस्ती हुए तुम,
तुम्हें बोलना पसंद है मुझे बोलते हुए तुम,
तुम्हें सब कुछ पसंद है और मुझे बस तुम।
हम भीगते हैं जिस तरह से तेरी यादों में डूबकर,
इस बारिश में कहाँ वो कशिश तेरे ख्यालों जैसी।
कहीं फिसल न जाओ जरा संभल के चलना,
मौसम बारिश का भी है और मोहब्बत का भी।
सुना है बारिश में दुआ क़बूल होती है,
अगर हो इज्जाजत तो मांग लू तुम्हे?
दिल में अनजाना सा एहसास,
जैसे बारिश चुपके से कुछ कह रही है,
न जाने कौन सी कशिश है इस बारिश में,
जो साथ में यादें भी ले आई है।
बारिश और मोहब्बत दोनो ही यादगार होते हैं,
बारिश में जिस्म भीगता है और मोहब्बत में आँखें।
आज जम कर बारिश आई,
तुम बारिश में भीग ली,
और तुम्हें बारिश में भीगते देख,
मैं प्रेम कविताओं में भीग रहा हूं।
ये बारिश अपने साथ साथ,
तुम्हारी यादो की बौछार लाई है,
तनहाई के इस आलम में,
खुशियां बेशुमार लाई है।
बारिश में चलने से एक बात याद आती है,
फिसलने के डर से डर से वो हाथ थाम लेता था।
आज आई बारिश तो याद आया वो जमाना,
वो तेरा छत पे रहना और मेरा सडको पे नहाना।
ये मौसम है बारिश का और याद तुम्हारी आती है,
बारिश के हर कतरे से आवाज़ तुम्हारी आती है,
बादल जब गरजते हैं दिल की धड़कन बढ़ जाती है,
दिल की हर एक धड़कन से आवाज़ तुम्हारी आती है,
बारिश के बाद अक्सर,
मेरा दिल डूब सा जाता है,
दोस्त के तू भी कहीं मुझे छोड़ कर
चला न जाये कहीं इन बादलो कि तरह।
हुई बारिश ज़रा सी सबको अपना काम याद आया,
किसी को प्यार अपना किसी को याद जाम आया।
मत पूछो कितनी मोहब्बत है मुझे उनसे,
बारिश की बूँद भी अगर उन्हें छू जाती है,
तो दिल में आग लग जाती है।
कीमत बारिश की कोई हम से पूछो,
औरों को तो यह कीचड़ का कारण लगती है,
दिल सुलगता है याद में उसकी,
हर बूँद में बारिश की उसकी सूरत दिखती है।
इन बारिशों से अदब-ए-मोहब्बत सीखो फ़राज़,
अगर ये रूठ भी जाएँ तो बरसती बहुत हैं।
मेरी मोहब्बत बेजुबा होती रही,
दिल की धड़कन अपना वजूद खोती रही,
कोई नहीं आया दुख में मेरे करीब,
एक बारिश थी जो मेरे साथ रोती रही।
वह भी कुछ तड़पा होगा मौसम की पहली बारिश में,
प्यार मेरा याद आया होगा मौसम की पहली बारिश में,
उड़ते उड़ते जब दो बादल एक हुए होंगे पर्वत पर,
उसका दामन भीगा होगा मौसम की पहली बारिश में।
काश के बरस जाये यहाँ भी कुछ नूर की बारिशें,
के ईमान के शीशों पे बड़ी गर्द जमी है,
उस तस्वीर को भी कर दे ताज़ा,
जिनकी याद हमारे दिल में धुंधली हुई है।