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चाहता हूँ कोई नेक काम हो जाए

चाहता हूँ कोई नेक काम हो जाएचाहता हूँ कोई नेक काम हो जाए,
मेरी हर साँस देश के नाम हो जाए।

वतन की मोहब्बत दिल में दबाये बैठे हैवतन की मोहब्बत दिल में दबाये बैठे है,
मरेगे वतन के लिए शर्त शहादत से लगाये बैठे है।

दुश्मन की गोलियों का सामना करेंगेदुश्मन की गोलियों का सामना करेंगे,
आज़ाद है और आज़ाद रहेंगे।

दिवाली में बसे अली रमजान में बसे रामदिवाली में बसे अली, रमजान में बसे राम,
ऐसा सुंदर होना चाहिए अपना हिन्दुस्तान।

उन आँखों की दो बूंदों से सातों सागर हारे हैउन आँखों की दो बूंदों से सातों सागर हारे है,
जब मेहँदी वाले हाथों ने मंगल-सूत्र उतारे है।

चूमा था वीरों ने फांसी का फंदाचूमा था वीरों ने फांसी का फंदा,
यूँ ही नहीं मिली थी आजादी खैरात में।

यहीं रहूँगा उम्र भर कहीं न जाउँगायहीं रहूँगा उम्र भर कहीं न जाउँगा,
ज़मीन माँ है इसे छोड़ कर न जाऊँगा।

देशभक्ति को अपनी सासों में बसना हैदेशभक्ति को अपनी सासों में बसना है,
अपने तिरंगे को पुरे जहा में फेहराना है।

मेरी धरती हम सबका ये वतनमेरी धरती हम सबका, ये वतन,
मुझे ज़िन्दगी से भी प्यारा है मेरा ये वतन।

यही ख्वाहिश है कि हर जन्म हिन्दुस्तान वतन देनायही ख्वाहिश है कि हर जन्म हिन्दुस्तान वतन देना,
अगर देना तो दिल में देश भक्ति का चलन देना।

एक दीप उनके नाम का भी रखना थाली मेंएक दीप उनके नाम का भी रखना थाली में,
जिनकी साँसे थम गयी देश की रखवाली में।

भरा नही जो भावों से बहती जिसमें रसधार नहीभरा नही जो भावों से बहती जिसमें रसधार नही,
हृदय नही वह पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।

जो अब तक ना खौला वो खून नहीं पानी हैजो अब तक ना खौला वो खून नहीं पानी है,
जो देश के काम ना आए वो बेकार की जवानी है।

अलग है भाषा धरम जात और प्रान्त भेष परिवेशअलग है भाषा, धरम, जात और प्रान्त, भेष, परिवेश,
पर सबका एक है गौरव राष्ट्रध्वज तिरंगा श्रेष्ठ।

अनेकता में एकता ही इस देश की शान हैअनेकता में एकता ही इस देश की शान है,
इसीलिए मेरा भारत महान है।

अपनी आजादी को हम हरगिज मिटा सकते नहीअपनी आजादी को हम हरगिज मिटा सकते नही,
सर कटा सकते है लेकिन सर झुका सकते नही।

वतन की सर बुलंदी में हमारा नाम हो शामिलवतन की सर बुलंदी में, हमारा नाम हो शामिल,
गुजरते रहना है हमको सदा ऐसे मुकामो से।

मेरी जान है वतन मेरी पहचान है वतनमेरी जान है वतन मेरी पहचान है वतन,
मेरे देश की मिटटी मेरा ये वतन।

न केशरिया मेरा है न हरा मेरा हैन केशरिया मेरा है न हरा मेरा है,
मेरा धर्म हिन्दुस्तानी है, पूरा तिरंगा मेरा है।

मुझे ना तन चाहिए ना धन चाहिएमुझे ना तन चाहिए, ना धन चाहिए,
बस अमन से भरा यह वतन चाहिए।

लिपट कर बदन कई तिरंगे में आज भी आते हैलिपट कर बदन कई तिरंगे में आज भी आते है,
यूँ ही नहीं दोस्तों हम ये पर्व मनाते है।


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