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लिख रहा हूँ मैं अंजाम जिसका कल आगाज आएगा

लिख रहा हूँ मैं अंजाम जिसका कल आगाज आएगालिख रहा हूँ मैं अंजाम जिसका कल आगाज आएगा,
मेरे लहू का हर एक कतरा इंकलाब लाएगा।

उन आँखों की दो बूंदों से सातों सागर हारे हैउन आँखों की दो बूंदों से सातों सागर हारे है,
जब मेहँदी वाले हाथों ने मंगल-सूत्र उतारे है।

देशभक्ति को अपनी सासों में बसना हैदेशभक्ति को अपनी सासों में बसना है,
अपने तिरंगे को पुरे जहा में फेहराना है।

दुश्मन की गोलियों का सामना करेंगेदुश्मन की गोलियों का सामना करेंगे,
आज़ाद है और आज़ाद रहेंगे।

अलग है भाषा धरम जात और प्रान्त भेष परिवेशअलग है भाषा, धरम, जात और प्रान्त, भेष, परिवेश,
पर सबका एक है गौरव राष्ट्रध्वज तिरंगा श्रेष्ठ।

शमा-ए-वतन की लौ पर जब कुर्बान पतंगा होशमा-ए-वतन की लौ पर जब कुर्बान पतंगा हो,
होठों पर गंगा हो और हाथों में तिरंगा हो।

लिख रहा हूँ मैं अंजाम जिसका कल आगाज आएगालिख रहा हूँ मैं अंजाम जिसका कल आगाज आएगा,
मेरे लहू का हर एक कतरा इंकलाब लाएगा।

अनेकता में एकता ही इस देश की शान हैअनेकता में एकता ही इस देश की शान है,
इसीलिए मेरा भारत महान है।

यही हिम्मत का धन देना अगर देनायही हिम्मत का धन देना अगर देना,
तो दिल में देशभक्ति का चलन देना।

यहीं रहूँगा उम्र भर कहीं न जाउँगायहीं रहूँगा उम्र भर कहीं न जाउँगा,
ज़मीन माँ है इसे छोड़ कर न जाऊँगा।

भारत की फ़िज़ाओं को सदा याद रहूँगाभारत की फ़िज़ाओं को सदा याद रहूँगा,
आज़ाद था आज़ाद हूँ आज़ाद रहूँगा।

भरा नही जो भावों से बहती जिसमें रसधार नहीभरा नही जो भावों से बहती जिसमें रसधार नही,
हृदय नही वह पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।

दिवाली में बसे अली रमजान में बसे रामदिवाली में बसे अली, रमजान में बसे राम,
ऐसा सुंदर होना चाहिए अपना हिन्दुस्तान।

यही ख्वाहिश है कि हर जन्म हिन्दुस्तान वतन देनायही ख्वाहिश है कि हर जन्म हिन्दुस्तान वतन देना,
अगर देना तो दिल में देश भक्ति का चलन देना।

जो अब तक ना खौला वो खून नहीं पानी हैजो अब तक ना खौला वो खून नहीं पानी है,
जो देश के काम ना आए वो बेकार की जवानी है।

लिपट कर बदन कई तिरंगे में आज भी आते हैलिपट कर बदन कई तिरंगे में आज भी आते है,
यूँ ही नहीं दोस्तों हम ये पर्व मनाते है।

फौजी है जिंदगी हमारी अंत इसी में होगाफौजी है जिंदगी हमारी, अंत इसी में होगा,
बारूद बन कर चिता जलेगी कफन वर्दी का होगा।

मुझे ना तन चाहिए ना धन चाहिएमुझे ना तन चाहिए, ना धन चाहिए,
बस अमन से भरा यह वतन चाहिए।

चूमा था वीरों ने फांसी का फंदाचूमा था वीरों ने फांसी का फंदा,
यूँ ही नहीं मिली थी आजादी खैरात में।

अपनी आजादी को हम हरगिज मिटा सकते नहीअपनी आजादी को हम हरगिज मिटा सकते नही,
सर कटा सकते है लेकिन सर झुका सकते नही।

खून से होली खेलेंगे अगर देश संकट में हैखून से होली खेलेंगे अगर देश संकट में है,
सरफरोशी की इच्छा अब हमारे दिल में है।


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