बारिश का यह मौसम कुछ याद दिलाता है,
किसी के साथ होने का एहसास दिलाता है,
फिजा भी सर्द है यादें भी ताज़ा हैं,
यह मौसम किसी का प्यार दिल में जगाता है।
खुद भी रोता है मुझे भी रुला देता है,
ये बारिश का मौसम उसकी याद दिला देता है।
तुमको बारिश पसंद है मुझे बारिश में तुम,
तुमको हँसना पसंद है मुझे हस्ती हुए तुम,
तुमको बोलना पसंद है मुझे बोलते हुए तुम,
तुमको सब कुछ पसंद है और मुझे बस तुम।
बारिश के बाद अक्सर,
मेरा दिल डूब सा जाता है,
दोस्त के तू भी कहीं मुझे छोड़ कर
चला न जाये कहीं इन बादलो कि तरह।
हम बारिश की बुँदे समझ बैठे जिसे,
वो उसकी आँखों से निकले आंसू थे,
दर्द था उसके दिल का वो,
लेकिन हम बारिश की मस्ती में बेकाबू थे।
बरस जाये यहाँ भी कुछ नूर की बारिशें,
के ईमान के शीशों पे बड़ी गर्द जमी है,
उस तस्वीर को भी कर दे ताज़ा,
जिनकी याद हमारे दिल में धुंधली सी पड़ी है।
इन बारिशों से अदब-ए-मोहब्बत सीखो फ़राज़,
अगर ये रूठ भी जाएँ तो बरसती बहुत हैं।
कहीं फिसल न जाओ जरा संभल के चलना,
मौसम बारिश का भी है और मोहब्बत का भी।
बारिश में चलने से एक बात याद आती है,
फिसलने के डर से डर से वो हाथ थाम लेता था।
ए बारिश ज़रा थम के बरस,
जब मेरा यार आ जाए तो जम के बरस,
पहले ना बरस की वो आ ना सके,
फिर इतना बरस की वो जा ना सके।
मत पूछो कितनी मोहब्बत है मुझे उनसे,
बारिश की बूँद भी अगर उन्हें छू जाती है,
तो दिल में आग लग जाती है।
बारिश की बूंदों सा ये दिल गिरता बरसता है,
तुम पास होते हो मगर फिर भी तरसता रहता है।
आज आई बारिश तो याद आया वो जमाना,
वो तेरा छत पे रहना और मेरा सडको पे नहाना।
काश के बरस जाये यहाँ भी कुछ नूर की बारिशें,
के ईमान के शीशों पे बड़ी गर्द जमी है,
उस तस्वीर को भी कर दे ताज़ा,
जिनकी याद हमारे दिल में धुंधली हुई है।
हम भीगते हैं जिस तरह से तेरी यादों में डूबकर,
इस बारिश में कहाँ वो कशिश तेरे ख्यालों जैसी।
हुई बारिश ज़रा सी सबको अपना काम याद आया,
किसी को प्यार अपना किसी को याद जाम आया।
बारिश में आज भीग जाने दो,
बूंदों को आज बरस जाने दो,
न रोको यूँ खुद को आज,
भीग जाने दो इस दिल को आज।
बादल जब गरजते हैं दिल की धड़कन बढ़ जाती है,
दिल की हर एक धड़कन से आवाज़ तुम्हारी आती है,
जब तेज हवाएं चलती हैं तो जान हमारी जाती है,
ये मौसम है बारिश का और याद तुम्हारी आती है।
बारिश इतनी हुई की तमाम शहर धुल गया,
बस एक तेरे इश्क़ का रंग ही मुझसे न उतरा।
ये इश्क़ का मौसम अजीब है जनाब,
इस बारिश में कई रिश्ते धुल जाते है,
बेगानों से करते है मोहब्बत कुछ लोग,
और अपनों के ही आंसू भूल जाते है।