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उन आँखों की दो बूंदों से सातों सागर हारे है

उन आँखों की दो बूंदों से सातों सागर हारे हैउन आँखों की दो बूंदों से सातों सागर हारे है,
जब मेहँदी वाले हाथों ने मंगल-सूत्र उतारे है।

चाहता हूँ कोई नेक काम हो जाएचाहता हूँ कोई नेक काम हो जाए,
मेरी हर साँस देश के नाम हो जाए।

मुझे ना तन चाहिए ना धन चाहिएमुझे ना तन चाहिए, ना धन चाहिए,
बस अमन से भरा यह वतन चाहिए।

अनेकता में एकता ही इस देश की शान हैअनेकता में एकता ही इस देश की शान है,
इसीलिए मेरा भारत महान है।

मेरी जान सदा जिंदाबाद रहे तूमेरी जान सदा जिंदाबाद रहे तू,
ऐ मेरे प्यारे वतन आबाद रहे तू।

वतन की सर बुलंदी में हमारा नाम हो शामिलवतन की सर बुलंदी में, हमारा नाम हो शामिल,
गुजरते रहना है हमको सदा ऐसे मुकामो से।

मेरी धरती हम सबका ये वतनमेरी धरती हम सबका, ये वतन,
मुझे ज़िन्दगी से भी प्यारा है मेरा ये वतन।

उन आँखों की दो बूंदों से सातों सागर हारे हैउन आँखों की दो बूंदों से सातों सागर हारे है,
जब मेहँदी वाले हाथों ने मंगल-सूत्र उतारे है।

खून से होली खेलेंगे अगर देश संकट में हैखून से होली खेलेंगे अगर देश संकट में है,
सरफरोशी की इच्छा अब हमारे दिल में है।

फौजी है जिंदगी हमारी अंत इसी में होगाफौजी है जिंदगी हमारी, अंत इसी में होगा,
बारूद बन कर चिता जलेगी कफन वर्दी का होगा।

दुश्मन की गोलियों का सामना करेंगेदुश्मन की गोलियों का सामना करेंगे,
आज़ाद है और आज़ाद रहेंगे।

यही ख्वाहिश है कि हर जन्म हिन्दुस्तान वतन देनायही ख्वाहिश है कि हर जन्म हिन्दुस्तान वतन देना,
अगर देना तो दिल में देश भक्ति का चलन देना।

एक दीप उनके नाम का भी रखना थाली मेंएक दीप उनके नाम का भी रखना थाली में,
जिनकी साँसे थम गयी देश की रखवाली में।

अपनी आजादी को हम हरगिज मिटा सकते नहीअपनी आजादी को हम हरगिज मिटा सकते नही,
सर कटा सकते है लेकिन सर झुका सकते नही।

वतन की मोहब्बत दिल में दबाये बैठे हैवतन की मोहब्बत दिल में दबाये बैठे है,
मरेगे वतन के लिए शर्त शहादत से लगाये बैठे है।

मेरी जान है वतन मेरी पहचान है वतनमेरी जान है वतन मेरी पहचान है वतन,
मेरे देश की मिटटी मेरा ये वतन।

लिपट कर बदन कई तिरंगे में आज भी आते हैलिपट कर बदन कई तिरंगे में आज भी आते है,
यूँ ही नहीं दोस्तों हम ये पर्व मनाते है।

हँसते-हँसते फाँसी चढ़कर अपनी जान गवा दीहँसते-हँसते फाँसी चढ़कर अपनी जान गवा दी,
और बदले में दे दी ये पावन आजादी।

यहीं रहूँगा उम्र भर कहीं न जाउँगायहीं रहूँगा उम्र भर कहीं न जाउँगा,
ज़मीन माँ है इसे छोड़ कर न जाऊँगा।

शमा-ए-वतन की लौ पर जब कुर्बान पतंगा होशमा-ए-वतन की लौ पर जब कुर्बान पतंगा हो,
होठों पर गंगा हो और हाथों में तिरंगा हो।

लिख रहा हूँ मैं अंजाम जिसका कल आगाज आएगालिख रहा हूँ मैं अंजाम जिसका कल आगाज आएगा,
मेरे लहू का हर एक कतरा इंकलाब लाएगा।


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