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चाँद मत माग मेरे चाँद जमी पर रहकर

चाँद मत माग मेरे चाँद जमी पर रहकरचाँद मत माग मेरे चाँद जमी पर रहकर,
खुद को पहचान मेरी जान खुदी में रहकर।

पूनम का चाँद पाने की कोशिश हरचंद थीपूनम का चाँद पाने की कोशिश हरचंद थी,
बताते है खंडहर की इमारत कभी बुलंद थी।

चाँद भी हैरान दरिया भी परेशानी में हैचाँद भी हैरान, दरिया भी परेशानी में है,
अक्स किस का है ये, इतनी रौशनी पानी में है।

चाँद बन कर चमकने वाले नेचाँद बन कर चमकने वाले ने,
मुझ को सूरज-मिसाल कर डाला।

चलो चाँद का किरदार अपना लें हमचलो चाँद का किरदार अपना लें हम,
दाग अपने पास रखें और रौशनी बाँट दें।

तन्हा उदास चाँद को समझो न बेखबरतन्हा उदास चाँद को समझो न बेखबर,
हर बात सुन रहा है, मगर बोलता नहीं।

इश्क़ में झुक जाना कोई गलत बात नहींइश्क़ में झुक जाना कोई गलत बात नहीं,
चमकता सूरज भी तो डूब जाता है चांद के लिए।

चाँद है ज़ेरे-क़दम सूरज खिलौना हो गयाचाँद है ज़ेरे-क़दम सूरज खिलौना हो गया,
हाँ, मगर इस दौर में क़िरदार बौना हो गया।

क्यों मेरी तरह रातों को रहता है परेशानक्यों मेरी तरह रातों को रहता है परेशान,
ऐ चाँद बता किस से तेरी आँख लड़ी है।

बंद रखते है जुबान लब नहीं खोला करतेबंद रखते है जुबान लब नहीं खोला करते,
चाँद के सामने तारे नहीं बोला करते।

काश के ये पैगाम खुदा तक पहुंच जाएकाश के ये पैगाम खुदा तक पहुंच जाए,
एक चांद आसमां में हो और एक घर में आ जाए।

चांद कह कर गया था के रौशनी देगा मेरे घर मेंचांद कह कर गया था के रौशनी देगा मेरे घर में,
इसलिए बिन जलाए चिराग घर में बैठा हूं आज मैं।

मेरा और चाँद का मुक़द्दर एक जैसा हैमेरा और चाँद का मुक़द्दर एक जैसा है,
वो तारो में अकेला मैं हजारो में अकेला।

चाँद मत माग मेरे चाँद जमी पर रहकरचाँद मत माग मेरे चाँद जमी पर रहकर,
खुद को पहचान मेरी जान खुदी में रहकर।

भीड़ में रह कर अपना भी कब रह पाताभीड़ में रह कर अपना भी कब रह पाता,
चाँद अकेला है तो सब का लगता है।

तुझको देखा तो फिर उसको ना देखा मैंनेतुझको देखा तो फिर उसको ना देखा मैंने,
चाँद कहता रह गया मैं चाँद हूँ, मैं चाँद हूँ।

कितना भी इश्क़ करले चांद से ए रातकितना भी इश्क़ करले चांद से ए रात,
तेरे मुकद्दर में अंधेरा ही लिखा है।

कभी तो आसमान से चाँद उतरे जाम हो जाएकभी तो आसमान से चाँद उतरे जाम हो जाए,
तुम्हारे नाम की एक ख़ूबसूरत शाम हो जाए।

देख ये चाँद नदी फूल न जादेख ये चाँद, नदी, फूल, न जा,
रुत में रस, शब में नशा बाक़ी है।

हर रात बीताई है कुछ इसी यादों मेंहर रात बीताई है कुछ इसी यादों में,
चांद आएगा कभी तो मेरे दरवाजों पे।

मुझे ये ज़िद है कभी चाँद को असीर करूँमुझे ये ज़िद है कभी चाँद को असीर करूँ,
सो अब के दरिया में एक दाएरा बनाना है।


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