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ना उठी नजर कभी चांद की तरफ

ना उठी नजर कभी चांद की तरफना उठी नजर कभी चांद की तरफ,
जो घर में तेरा तशरीफ़ हो गया है अब।

मेरा और चाँद का मुक़द्दर एक जैसा हैमेरा और चाँद का मुक़द्दर एक जैसा है,
वो तारो में अकेला मैं हजारो में अकेला।

तुझको देखा तो फिर उसको ना देखा मैंनेतुझको देखा तो फिर उसको ना देखा मैंने,
चाँद कहता रह गया मैं चाँद हूँ, मैं चाँद हूँ।

इश्क़ में झुक जाना कोई गलत बात नहींइश्क़ में झुक जाना कोई गलत बात नहीं,
चमकता सूरज भी तो डूब जाता है चांद के लिए।

ना उठी नजर कभी चांद की तरफना उठी नजर कभी चांद की तरफ,
जो घर में तेरा तशरीफ़ हो गया है अब।

वो चाँद कह के गया था कि आज निकलेगावो चाँद कह के गया था कि आज निकलेगा,
तो इंतिज़ार में बैठा हुआ हूँ शाम से ही मैं।

पूनम का चाँद पाने की कोशिश हरचंद थीपूनम का चाँद पाने की कोशिश हरचंद थी,
बताते है खंडहर की इमारत कभी बुलंद थी।

चाँद का हुस्न भी ज़मीन से हैचाँद का हुस्न भी ज़मीन से है,
चाँद पर चाँदनी नहीं होती।

रातो में टुटी छतों पे टपकता है चाँदरातो में टुटी छतों पे टपकता है चाँद,
बारिशों सी हरकते भी करता है चाँद।

मुन्तजिर हूं कि तारों को जरा आंख लगेमुन्तजिर हूं कि तारों को जरा आंख लगे,
चांद को बुला लूंगा आंगन में इशारा कर के।

इजाज़त हो तो तेरे पास आ जाऊ में?इजाज़त हो तो तेरे पास आ जाऊ में?
चाँद के पास भी तो एक सितारा होता है।

बेसबब मुस्कुरा रहा है चाँदबेसबब मुस्कुरा रहा है चाँद,
कोई साजिश छुपा रहा है चाँद।

कितना भी इश्क़ करले चांद से ए रातकितना भी इश्क़ करले चांद से ए रात,
तेरे मुकद्दर में अंधेरा ही लिखा है।

रात को रोज़ डूब जाता हैरात को रोज़ डूब जाता है,
चाँद को तैरना सिखाना है मुझे।

चाँद मत माग मेरे चाँद जमी पर रहकरचाँद मत माग मेरे चाँद जमी पर रहकर,
खुद को पहचान मेरी जान खुदी में रहकर।

कभी तो आसमान से चाँद उतरे जाम हो जाएकभी तो आसमान से चाँद उतरे जाम हो जाए,
तुम्हारे नाम की एक ख़ूबसूरत शाम हो जाए।

मेरा और चांद का क़िस्मत एक जैसा हैमेरा और चांद का क़िस्मत एक जैसा है
वो तारों में अकेला और मैं हजारों में अकेला।

काश के ये पैगाम खुदा तक पहुंच जाएकाश के ये पैगाम खुदा तक पहुंच जाए,
एक चांद आसमां में हो और एक घर में आ जाए।

चाँद भी हैरान दरिया भी परेशानी में हैचाँद भी हैरान, दरिया भी परेशानी में है,
अक्स किस का है ये, इतनी रौशनी पानी में है।

हर रात बीताई है कुछ इसी यादों मेंहर रात बीताई है कुछ इसी यादों में,
चांद आएगा कभी तो मेरे दरवाजों पे।

मुझे ये ज़िद है कभी चाँद को असीर करूँमुझे ये ज़िद है कभी चाँद को असीर करूँ,
सो अब के दरिया में एक दाएरा बनाना है।


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