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तन्हा उदास चाँद को समझो न बेखबर

तन्हा उदास चाँद को समझो न बेखबरतन्हा उदास चाँद को समझो न बेखबर,
हर बात सुन रहा है, मगर बोलता नहीं।

रहने दो अभी चाँद सा चेहरा मिरे आगेरहने दो अभी चाँद सा चेहरा मिरे आगे,
मय और पिलाओ कि अभी रात बहुत है।

मेरा और चाँद का मुक़द्दर एक जैसा हैमेरा और चाँद का मुक़द्दर एक जैसा है,
वो तारो में अकेला मैं हजारो में अकेला।

चांद कह कर गया था के रौशनी देगा मेरे घर मेंचांद कह कर गया था के रौशनी देगा मेरे घर में,
इसलिए बिन जलाए चिराग घर में बैठा हूं आज मैं।

चाँद बन कर चमकने वाले नेचाँद बन कर चमकने वाले ने,
मुझ को सूरज-मिसाल कर डाला।

क्यों मेरी तरह रातों को रहता है परेशानक्यों मेरी तरह रातों को रहता है परेशान,
ऐ चाँद बता किस से तेरी आँख लड़ी है।

वो चाँद कह के गया था कि आज निकलेगावो चाँद कह के गया था कि आज निकलेगा,
तो इंतिज़ार में बैठा हुआ हूँ शाम से ही मैं।

क्यूँ मेरी तरह रातों को रहता है परेशाँक्यूँ मेरी तरह रातों को रहता है परेशाँ,
ऐ चाँद बता किस से तेरी आँख लड़ी है।

तुझको देखा तो फिर उसको ना देखा मैंनेतुझको देखा तो फिर उसको ना देखा मैंने,
चाँद कहता रह गया मैं चाँद हूँ, मैं चाँद हूँ।

तन्हा उदास चाँद को समझो न बेखबरतन्हा उदास चाँद को समझो न बेखबर,
हर बात सुन रहा है, मगर बोलता नहीं।

भीड़ में रह कर अपना भी कब रह पाताभीड़ में रह कर अपना भी कब रह पाता,
चाँद अकेला है तो सब का लगता है।

हर रात बीताई है कुछ इसी यादों मेंहर रात बीताई है कुछ इसी यादों में,
चांद आएगा कभी तो मेरे दरवाजों पे।

मोहब्बत थी तो चाँद अच्छा थामोहब्बत थी तो चाँद अच्छा था,
उतर गयी तो दाग दिखने लगे।

देख ये चाँद नदी फूल न जादेख ये चाँद, नदी, फूल, न जा,
रुत में रस, शब में नशा बाक़ी है।

बंद रखते है जुबान लब नहीं खोला करतेबंद रखते है जुबान लब नहीं खोला करते,
चाँद के सामने तारे नहीं बोला करते।

मुझे ये ज़िद है कभी चाँद को असीर करूँमुझे ये ज़िद है कभी चाँद को असीर करूँ,
सो अब के दरिया में एक दाएरा बनाना है।

ना उठी नजर कभी चांद की तरफना उठी नजर कभी चांद की तरफ,
जो घर में तेरा तशरीफ़ हो गया है अब।

काश के ये पैगाम खुदा तक पहुंच जाएकाश के ये पैगाम खुदा तक पहुंच जाए,
एक चांद आसमां में हो और एक घर में आ जाए।

कितना भी इश्क़ करले चांद से ए रातकितना भी इश्क़ करले चांद से ए रात,
तेरे मुकद्दर में अंधेरा ही लिखा है।

मेरा और चांद का क़िस्मत एक जैसा हैमेरा और चांद का क़िस्मत एक जैसा है
वो तारों में अकेला और मैं हजारों में अकेला।

चाँद का हुस्न भी ज़मीन से हैचाँद का हुस्न भी ज़मीन से है,
चाँद पर चाँदनी नहीं होती।


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