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देख ये चाँद नदी फूल न जा

देख ये चाँद नदी फूल न जादेख ये चाँद, नदी, फूल, न जा,
रुत में रस, शब में नशा बाक़ी है।

चाँद मत माग मेरे चाँद जमी पर रहकरचाँद मत माग मेरे चाँद जमी पर रहकर,
खुद को पहचान मेरी जान खुदी में रहकर।

चांद कह कर गया था के रौशनी देगा मेरे घर मेंचांद कह कर गया था के रौशनी देगा मेरे घर में,
इसलिए बिन जलाए चिराग घर में बैठा हूं आज मैं।

तन्हा उदास चाँद को समझो न बेखबरतन्हा उदास चाँद को समझो न बेखबर,
हर बात सुन रहा है, मगर बोलता नहीं।

चलो चाँद का किरदार अपना लें हम दोस्तोचलो चाँद का किरदार अपना लें हम दोस्तो,
दाग अपने पास रखें और रौशनी बाँट दें।

चांद की रोशनी की ज़रूरत नहीं है अब मुझकोचांद की रोशनी की ज़रूरत नहीं है अब मुझको,
क्यूंकि तुम जो मेरे घर को तशरीफ़ लाए हो।

रात को रोज़ डूब जाता हैरात को रोज़ डूब जाता है,
चाँद को तैरना सिखाना है मुझे।

चाँद भी हैरान दरिया भी परेशानी में हैचाँद भी हैरान, दरिया भी परेशानी में है,
अक्स किस का है ये, इतनी रौशनी पानी में है।

रहने दो अभी चाँद सा चेहरा मिरे आगेरहने दो अभी चाँद सा चेहरा मिरे आगे,
मय और पिलाओ कि अभी रात बहुत है।

मुन्तजिर हूं कि तारों को जरा आंख लगेमुन्तजिर हूं कि तारों को जरा आंख लगे,
चांद को बुला लूंगा आंगन में इशारा कर के।

क्यूँ मेरी तरह रातों को रहता है परेशाँक्यूँ मेरी तरह रातों को रहता है परेशाँ,
ऐ चाँद बता किस से तेरी आँख लड़ी है।

वो चाँद कह के गया था कि आज निकलेगावो चाँद कह के गया था कि आज निकलेगा,
तो इंतिज़ार में बैठा हुआ हूँ शाम से ही मैं।

मेरा और चांद का क़िस्मत एक जैसा हैमेरा और चांद का क़िस्मत एक जैसा है
वो तारों में अकेला और मैं हजारों में अकेला।

तुझको देखा तो फिर उसको ना देखा मैंनेतुझको देखा तो फिर उसको ना देखा मैंने,
चाँद कहता रह गया मैं चाँद हूँ, मैं चाँद हूँ।

काश के ये पैगाम खुदा तक पहुंच जाएकाश के ये पैगाम खुदा तक पहुंच जाए,
एक चांद आसमां में हो और एक घर में आ जाए।

चलो चाँद का किरदार अपना लें हमचलो चाँद का किरदार अपना लें हम,
दाग अपने पास रखें और रौशनी बाँट दें।

कभी तो आसमान से चाँद उतरे जाम हो जाएकभी तो आसमान से चाँद उतरे जाम हो जाए,
तुम्हारे नाम की एक ख़ूबसूरत शाम हो जाए।

हर रात बीताई है कुछ इसी यादों मेंहर रात बीताई है कुछ इसी यादों में,
चांद आएगा कभी तो मेरे दरवाजों पे।

मेरा और चाँद का मुक़द्दर एक जैसा हैमेरा और चाँद का मुक़द्दर एक जैसा है,
वो तारो में अकेला मैं हजारो में अकेला।

क्यों मेरी तरह रातों को रहता है परेशानक्यों मेरी तरह रातों को रहता है परेशान,
ऐ चाँद बता किस से तेरी आँख लड़ी है।

भीड़ में रह कर अपना भी कब रह पाताभीड़ में रह कर अपना भी कब रह पाता,
चाँद अकेला है तो सब का लगता है।


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