तुझसे की हुई हर बात याद आती है,
वीराने और महफ़िल की मुलाकात याद आती है,
खिलते सूरज का दिल चांदनी रात याद आती है,
सर्दियों की फिजा और मौसम की बरसात याद आती है।
बादल गरज उठे हैं लगता है कयामत आने वाली है,
बड़े जोर से मोहब्बत की बरसात आने वाली है,
वो जो इश्क़ के खिलाफ़ रहते हैं वो दरवाजे बन्द रखें,
उनके घर भी बारिश के बूंदों की बारात आने वाली है।
अब ना तुम साथ हो, बस एक यादों की बरसात हो,
जो बस भिगाये ये मनन मेरा, चाहे शाम हो या सवेरा।
बरसात की भीगी रातों में फिर कोई सुहानी याद आई,
कुछ अपना जमाना याद आया कुछ उनकी जवानी याद आई,
हम भूल चुके थे जिसने हमें दुनिया में अकेला छोर दिया,
जब गौर किया तो एक सूरत जानी पहचानी याद आई।
बिन मौसम बरसात आती है,
मेरी बदनसीबी साथ लाती है,
पतझड़ हो या मौसम बहार का,
हर घड़ी मुझे उसकी याद आती है।
दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न था,
इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था।
किसने भीगे हुए बालों से ये झटका पानी,
झूम के आई घटा टूट के बरसा पानी,
कोई मतवाली घटा पीके जवानी की उमंग,
दिल बहा ले गया बरसात का पहला पानी।
तुझसे की हुई हर बात याद आती है,
वीराने और महफ़िल की मुलाकात याद आती है,
खिलते सूरज का दिल चांदनी रात याद आती है,
सर्दियों की फिजा और मौसम की बरसात याद आती है।
टूट पड़ती थीं घटाएँ जिन की आँखें देख कर,
वो भरी बरसात में तरसे हैं पानी के लिए।
बरसात की एक शाम,
अभी तक खिड़की पे बैठी है मेरी,
तू आये तो साथ आफ़ताब ले आना।
तेरे जाने के बाद फिर बरसात हुई,
कौन जाने कब दिन निकला, कब रात हुई,
हम टकटकी लगाये बैठे थे तेरी आहट पे,
आसमाँ साथ में रोया, ये क्या बात हुई,
मुझे भाता है हर पल ही तुम्हारे साथ का मौसम,
कभी ये धूप गरमी की कभी बरसात का मौसम।
हैं तेरे संग जो बीती सभी शामें हसीं बीती,
मुझे अब याद आता है, वो मिठी बात का मौसम।
जब आता है ये बरसात का मौसम,
तेरी याद होती है साथ हम दम,
इस मौसम में नहीं करेंगे याद तुझे ये सोचा है हमने,
पर फिर सोचा कैसे बारिश को रोक पायेंगे हम।
ये बरसात आज मुझसे कुछ कह गयी,
आज फिर मेरी बाँहों में उसकी कमी रह गयी,
एक पल के लिए उसे छुआ मैंने,
और आज फिर उसकी याद बारिश में
पानी की तरह बह गयी।
ये जो बरसात पड़ रही है इसमें भी कोई बात है,
लगता है आज फिर किसी का दिल टुटा है।
बरसात के दिनों में बादल छा जाता है,
मेहबूबा याद आती है बड़ा प्यार आता है,
कैसे काबू करें अब अपने एहसासों को हम,
दर्द दिल का फिर आंसुओं में नजर आता है।
अब भी बरसात की रातों में बदन टूटता है,
जाग उठती हैं अजब ख़्वाहिशें अंगड़ाईयों की।
वक्त के साथ बरसात के मायने बदल गए,
जो बरसात बचपन में हमें सुकून देती थी ,
आज वही बरसात हमें अपने,
टूटे हुए रिश्ते के दर्द का एहसास दिलाती है।
आशिक तो आँखों की बात समझ लेते हैं,
सपनो में मिल जाये तो मुलाकात समझ लेते हैं,
रोता तो आसमान भी है अपने बिछड़े प्यार के लिए,
पर लोग उसे बरसात समझ लेते हैं।
वो मेरे रु-ब-रु आया भी तो बरसात के मौसम में,
मेरे आँसू बह रहे थे और वो बरसात समझ बैठा।
बरसात की पहली बूंद हो तुम,
बरसात के बाद का सुकून हो तुम,
बरसात के बाद प्यासे को मिला एहसास हो तुम,
गर्मी, जाड़े, पतझड़ और बरसात का,
मिला जुला संगम हो तुम।