ये जून का महीना और बे-मौसम बरसात,
तुम पास होते तो एक कप चाय पीते।
आशिक तो आँखों की बात समझ लेते हैं,
सपनो में मिल जाये तो मुलाकात समझ लेते हैं,
रोता तो आसमान भी है अपने बिछड़े प्यार के लिए,
पर लोग उसे बरसात समझ लेते हैं।
रात आयी बरसात भी लायी,
उसकी याद भी साथ लाई,
रात गई बरसात भी गयी,
पर उसकी याद नही गई।
वो मेरे रु-ब-रु आया भी तो बरसात के मौसम में,
मेरे आँसू बह रहे थे और वो बरसात समझ बैठा।
ये बरसात की बूंदे तुम्हे भी तो भिगाती होंगी,
फिर शायद याद तुम्हे भी मेरी आती होंगी।
ये बरसात आज मुझसे कुछ कह गयी,
आज फिर मेरी बाँहों में उसकी कमी रह गयी,
एक पल के लिए उसे छुआ मैंने,
और आज फिर उसकी याद बारिश में
पानी की तरह बह गयी।
इस भीगे भीगे मौसम में थी आस तुम्हारे आने की,
तुमको अगर फुर्सत ही नहीं तो आग लगे बरसातों को।
देखा बिन मौसम बरसात आई है,
बड़ी खुशनुमा शाम साथ लाई है।
टूट पड़ती थीं घटाएँ जिन की आँखें देख कर,
वो भरी बरसात में तरसे हैं पानी के लिए।
तेरे जाने के बाद फिर बरसात हुई,
कौन जाने कब दिन निकला, कब रात हुई,
हम टकटकी लगाये बैठे थे तेरी आहट पे,
आसमाँ साथ में रोया, ये क्या बात हुई,
बिन मौसम बरसात आती है,
मेरी बदनसीबी साथ लाती है,
पतझड़ हो या मौसम बहार का,
हर घड़ी मुझे उसकी याद आती है।
कुछ तो चाहत रही होगी,
ईन बरसात की बुंदों कि भी,
वरना कोन गिरता है जमीन पर,
आसमान तक पहुँचने के बाद।
दिन हुआ है तो रात भी होगी,
घटा छाई है तो बरसात भी होगी,
बिछड़ने का गम नहीं करना जानम,
जिंदगी रही तो दोबारा मुलाकात भी होगी।
भीगी सी याद भुली हुई बात,
भुला हुआ वक्त वो भीगी सी आँखें,
वो बीता हुआ साथ,
मुबारक हो आपको साल की पहली बरसात।
ये बरसात की बुंदे बहुत कुछ कह जाती है,
पल दो पल मे ये बंद भी हो जाती है|
अब भी बरसात की रातों में बदन टूटता है,
जाग उठती हैं अजब ख़्वाहिशें अंगड़ाईयों की।
बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने,
किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है।
मौसम बरसात का आया,
बहुत खुशियां साथ लाया,
मुस्कान चेहरे पर सबकी,
साथ अपने बहुत सौगात लाया।
चांद को मामा बताए अब वो रात नहीं होती,
सावन के झूलों से अब सखियों कि बात नहीं होती,
आम और जमीन ने भी बहुत तलाशा बचपन को,
कागज की कश्ती लेकर भी अब बरसात नहीं होती।
कुछ नशा तेरी बात का है,
कुछ नशा धीमी बरसात का है,
हमे तुम यूँही पागल मत समझो,
यह दिल पर असर पहली मुलाकात का है।