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Home Barsaat Shayari Barsaat Shayari in Hindi - बरसात शायरी इन हिंदी

बरसात भी अब साहूकार सी हुई

बरसात भी अब साहूकार सी हुईबरसात भी अब साहूकार सी हुई,
जब देखो तब आसूंओं से ब्याज लेती है।

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बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जानेबरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने,
किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है।

तेरे जाने के बाद फिर बरसात हुईतेरे जाने के बाद फिर बरसात हुई,
कौन जाने कब दिन निकला, कब रात हुई,
हम टकटकी लगाये बैठे थे तेरी आहट पे,
आसमाँ साथ में रोया, ये क्या बात हुई,

चांद को मामा बताए अब वो रात नहीं होतीचांद को मामा बताए अब वो रात नहीं होती,
सावन के झूलों से अब सखियों कि बात नहीं होती,
आम और जमीन ने भी बहुत तलाशा बचपन को,
कागज की कश्ती लेकर भी अब बरसात नहीं होती।

बरसात की भीगी रातों में फिर कोई सुहानी याद आईबरसात की भीगी रातों में फिर कोई सुहानी याद आई,
कुछ अपना जमाना याद आया कुछ उनकी जवानी याद आई,
हम भूल चुके थे जिसने हमें दुनिया में अकेला छोर दिया,
जब गौर किया तो एक सूरत जानी पहचानी याद आई।

देखा बिन मौसम बरसात आई हैदेखा बिन मौसम बरसात आई है,
बड़ी खुशनुमा शाम साथ लाई है।

एक तो ये रात उफ़ ये बरसातएक तो ये रात, उफ़ ये बरसात,
इक तो साथ नही तेरा, उफ़ ये दर्द बेहिसाब
कितनी अजीब सी है बात,
मेरे ही बस में नही मेरे ये हालात।

न जाने क्यू अभी आपकी याद आ गयीन जाने क्यू अभी आपकी याद आ गयी,
मौसम क्या बदला बरसात भी आ गयी,
मैंने छुकर देखा बूंदों को तो, हर बूंद में
आपकी तस्वीर नज़र आ गयी ।

बरसात का भी मौसम होता हैबरसात का भी मौसम होता है,
बेमौसम यह भी अच्छी नही लगती।

जब जब आता है यह बरसात का मौसमजब जब आता है यह बरसात का मौसम,
तेरी याद होती है साथ हरदम,
इस मौसम में नहीं करेंगे याद तुझे यह सोचा है हमने,
पर फिर सोचा की बारिश को कैसे रोक पाएंगे हम।

बरसात का मज़ा तेरे गेसू दिखा गएबरसात का मज़ा तेरे गेसू दिखा गए,
अक्स आसमान पर जो पड़ा अब्र छा गए।

बरसात की एक शाम अभी तक खिड़की पे बैठी है मेरीबरसात की एक शाम,
अभी तक खिड़की पे बैठी है मेरी,
तू आये तो साथ आफ़ताब ले आना।

टूट पड़ती थीं घटाएँ जिन की आँखें देख करटूट पड़ती थीं घटाएँ जिन की आँखें देख कर,
वो भरी बरसात में तरसे हैं पानी के लिए।

सोचा था किसी सुबह मिलेंगे पर रात ही नहीं हुईसोचा था किसी सुबह मिलेंगे पर रात ही नहीं हुई,
कहा तो बहुत बादलों से मैंने पर बरसात ही नहीं हुई,
तूने चाहे भुलक्कड़ ही समझ रक्खा हो हमें,
पर तुझे भुलाने जैसी यहाँ से बात ही नहीं हुई।

बरसात भी अब साहूकार सी हुईबरसात भी अब साहूकार सी हुई,
जब देखो तब आसूंओं से ब्याज लेती है।

बरसात की रात में मत करो शैतानीबरसात की रात में मत करो शैतानी,
मौका मिला है तो क्या करोगे अपनी मनमानी,
बातें करने को बुलाया था तुमने तो आज मुझे,
अब मत करो तुम अपने इरादों से बेईमानी।

रात आयी बरसात भी लायी उसकी याद भी साथ लाईरात आयी बरसात भी लायी,
उसकी याद भी साथ लाई,
रात गई बरसात भी गयी,
पर उसकी याद नही गई।

ये बरसात की बूंदे तुम्हे भी तो भिगाती होंगीये बरसात की बूंदे तुम्हे भी तो भिगाती होंगी,
फिर शायद याद तुम्हे भी मेरी आती होंगी।

अब ना तुम साथ हो बस एक यादों की बरसात होअब ना तुम साथ हो, बस एक यादों की बरसात हो,
जो बस भिगाये ये मनन मेरा, चाहे शाम हो या सवेरा।

अब भी बरसात की रातों में बदन टूटता हैअब भी बरसात की रातों में बदन टूटता है,
जाग उठती हैं अजब ख़्वाहिशें अंगड़ाईयों की।

बिन मौसम बरसात आती है मेरी बदनसीबी साथ लाती हैबिन मौसम बरसात आती है,
मेरी बदनसीबी साथ लाती है,
पतझड़ हो या मौसम बहार का,
हर घड़ी मुझे उसकी याद आती है।


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