बरसात की पहली बूंद हो तुम,
बरसात के बाद का सुकून हो तुम,
बरसात के बाद प्यासे को मिला एहसास हो तुम,
गर्मी, जाड़े, पतझड़ और बरसात का,
मिला जुला संगम हो तुम।
पन्नें उलटे उम्र के, पलट गयी बरसात,
आँखों आँखों में कटी, कल की भीगी रात।
आशिक तो आँखों की बात समझ लेते हैं,
सपनो में मिल जाये तो मुलाकात समझ लेते हैं,
रोता तो आसमान भी है अपने बिछड़े प्यार के लिए,
पर लोग उसे बरसात समझ लेते हैं।
मुझे भाता है हर पल ही तुम्हारे साथ का मौसम,
कभी ये धूप गरमी की कभी बरसात का मौसम।
हैं तेरे संग जो बीती सभी शामें हसीं बीती,
मुझे अब याद आता है, वो मिठी बात का मौसम।
सोचा था किसी सुबह मिलेंगे पर रात ही नहीं हुई,
कहा तो बहुत बादलों से मैंने पर बरसात ही नहीं हुई,
तूने चाहे भुलक्कड़ ही समझ रक्खा हो हमें,
पर तुझे भुलाने जैसी यहाँ से बात ही नहीं हुई।
अब भी बरसात की रातों में बदन टूटता है,
जाग उठती हैं अजब ख़्वाहिशें अंगड़ाईयों की।
बरसात की एक शाम,
अभी तक खिड़की पे बैठी है मेरी,
तू आये तो साथ आफ़ताब ले आना।
टूट पड़ती थीं घटाएँ जिन की आँखें देख कर,
वो भरी बरसात में तरसे हैं पानी के लिए।
बरसात की पहली बूंद हो तुम,
बरसात के बाद का सुकून हो तुम,
बरसात के बाद प्यासे को मिला एहसास हो तुम,
गर्मी, जाड़े, पतझड़ और बरसात का,
मिला जुला संगम हो तुम।
बरसात हुई और चुपके से कानो में कह गयी,
गर्मी किसी की भी हो हमेशा नही रहती।
बरसात की रात में मत करो शैतानी,
मौका मिला है तो क्या करोगे अपनी मनमानी,
बातें करने को बुलाया था तुमने तो आज मुझे,
अब मत करो तुम अपने इरादों से बेईमानी।
जब जब आता है यह बरसात का मौसम,
तेरी याद होती है साथ हरदम,
इस मौसम में नहीं करेंगे याद तुझे यह सोचा है हमने,
पर फिर सोचा की बारिश को कैसे रोक पाएंगे हम।
बरसात के दिनों में बादल छा जाता है,
मेहबूबा याद आती है बड़ा प्यार आता है,
कैसे काबू करें अब अपने एहसासों को हम,
दर्द दिल का फिर आंसुओं में नजर आता है।
मौसम बरसात का आया,
बहुत खुशियां साथ लाया,
मुस्कान चेहरे पर सबकी,
साथ अपने बहुत सौगात लाया।
तेरे जाने के बाद फिर बरसात हुई,
कौन जाने कब दिन निकला, कब रात हुई,
हम टकटकी लगाये बैठे थे तेरी आहट पे,
आसमाँ साथ में रोया, ये क्या बात हुई,
जब आता है ये बरसात का मौसम,
तेरी याद होती है साथ हम दम,
इस मौसम में नहीं करेंगे याद तुझे ये सोचा है हमने,
पर फिर सोचा कैसे बारिश को रोक पायेंगे हम।
ये बरसात की बुंदे बहुत कुछ कह जाती है,
पल दो पल मे ये बंद भी हो जाती है|
ये जो बरसात पड़ रही है इसमें भी कोई बात है,
लगता है आज फिर किसी का दिल टुटा है।
इस भीगे भीगे मौसम में थी आस तुम्हारे आने की,
तुमको अगर फुर्सत ही नहीं तो आग लगे बरसातों को।
न जाने क्यू अभी आपकी याद आ गयी,
मौसम क्या बदला बरसात भी आ गयी,
मैंने छुकर देखा बूंदों को तो, हर बूंद में
आपकी तस्वीर नज़र आ गयी ।
वो मेरे रु-ब-रु आया भी तो बरसात के मौसम में,
मेरे आँसू बह रहे थे और वो बरसात समझ बैठा।