आजकल न जाने कब,
बदल जाए इंसान भरोसा नहीं,
कहते हैं जो भरोसा करो हम पर,
अक्सर भरोसा तोड़ते हैं वहीं।
अब इन लहरो पर क्या भरोसा करूं,
जब वो मेरे विपरीत ही चल रही है,
मुझे तो इन हवाओं पर भरोसा है,
जो मेरे पतवार को सहारा दे रही है।
मेरे दिल कि सरहद को पार न करना,
नाजुक है दिल मेरा वार न करना,
खुद से बढ़कर भरोसा है मुझे तुम पर,
इस भरोसे को तुम बेकार न करना।
लोगों के पास बहुत कुछ है,
मगर मुश्किल यही है की,
भरोसे पे शक है और,
अपने शक पे भरोसा है।
उनका भरोसा मत करो,
जिनका ख्याल वक्त के साथ बदल जाऐ,
भरोसा उनका करो जिनका ख्याल तब भी,
वैसा ही रहे जब आपका वक्त बदल जाऐ।