आग दिल में लगी जब वो खफा हुए,
महसूस हुआ तब, जब वो जुदा हुए,
करके वफ़ा कुछ दे न सके वो हमे,
पर बहुत कुछ दे गए जब वो बेवफा हुए।
हमदम तो ता उम्र साथ चलते हैं,
राहें तो बेवफ़ा बदलते हैं,
आपका चेहरा है जब से मेरे दिल में,
जाने क्यों लोग मेरे दिल से जलते हैं।
न पूछ मेरे सब्र की इन्तहां कहाँ तक है,
तू सितम कर ले तेरी हसरत जहाँ तक है,
वफ़ा की उम्मीद जिन्हें होगी उन्हें होगी,
हमे तो देखना है तू बेवफा कहाँ तक है।
किसी की खातिर मोहब्बत की इन्तेहाँ कर दो,
लेकिन इतना भी नहीं कि उसको खुदा कर दो,
मत चाहो किसी को टूट कर इस कदर इतना,
कि अपनी वफाओं से उसको बेवफा कर दो।
क्यों जिंदगी इस तरह तुम दूर हो गए,
क्या बात है जो इस तरह मगरूर हो गए,
हम तरसते रहे तुम्हारा प्यार पाने को,
बेवफा बनकर तुम तो मशहूर हो गए।
वफ़ा के नाम से वो अनजान थे,
किसी की बेवफाई से शायद परेशान थे,
हमने वफ़ा देनी चाही तो पता चला,
हम खुद बेवफा के नाम से बदनाम थे।
कैसी अजीब तुझसे यह जुदाई थी,
कि तुझे अलविदा भी ना कह सका,
तेरी सादगी में इतना फरेब था,
कि तुझे बेवफा भी ना कह सका।
आप बेवफा होंगे सोचा ही नहीं था,
आप भी कभी खफा होंगे सोचा नहीं था,
जो गीत लिखे थे कभी प्यार पर तेरे,
वही गीत रुसवा होंगे सोचा ही नहीं था।
फ़र्ज़ था जो मेरा निभा दिया मैंने,
उसने माँगा वो सब दे दिया मैंने,
वो सुनके गैरों की बातें बेवफ़ा हो गयी,
समझ के ख्वाब उसको आखिर भुला दिया मैंने।
हमें न मोहब्बत मिली न प्यार मिला,
हम को जो भी मिला बेवफा यार मिला,
अपनी तो बन गई तमाशा ज़िन्दगी,
हर कोई मकसद का तलबगार मिला।
शायद हम ही बेवफा थे कि,
झटके से उनके दिल से निकल गए,
उनकी वफा तो देखिये कि,
अब तक दिल में घर किए बैठे हैं।
तेरी चौखट से सर उठाऊँ तो बेवफा कहना,
तेरे सिवा किसी और को चाहूँ तो बेवफा कहना,
मेरी बफओं पे सक है तो खंजर उठा लेना,
मै शौक से ना मर जाऊं तो बेवफा कहना।
जनाजा मेरा उठ रहा था,
फिर भी तकलीफ थी उसे आने में,
बेवफा घर में बैठी पूछ रही थी,
और कितनी देर है दफनाने में।
वो तो अपने दर्द रो-रो के सुनाते रहे,
हमारी तन्हाइयों से आँख चुराते रहे,
और हमें बेवफा का नाम मिला क्योंकि,
हम हर दर्द मुस्कुरा कर छुपाते रहे।
नज़र नज़र से मिलेगी तो सर झुका लेंगे,
वो बेवफा है मेरा इम्तहान क्या लेगा,
उसे चिराग जलाने को मत कह देना,
वो ना समझ है कहीं उँगलियाँ जला लेगा।
बहुत अजीब था वो हिज्र का आलम,
कि तुझे अलविदा भी न कह सका,
तेरी मासूमियत में इतना फ़रेब था
कि तुझे बेवफ़ा भी न कह सका।
तेरी चौखट से सिर उठाऊं तो बेवफा कहना,
तेरे सिवा किसी और को चाहूँ तो बेवफा कहना,
मेरी वफाओं पे शक है तो खंजर उठा लेना,
मैं शौक से मर ना जाऊं तो बेवफा कहना।
मेरे कलम से लफ्ज़ खो गए शायद,
आज वो भी बेवफा हो गाए शायद,
जब नींद खुली तो पलकों में पानी था,
मेरे ख्वाब मुझपे रो गाए शायद।
वो खुदा था मेरा अब मेरा ईमान है,
चला गया छोड़ कर इसलिए दिल उदास है,
बेवफा नही कहूंगा मैं उसको,
क्यूंकी इश्क़ करना उसका मुझ पर अहसान है।
कभी जो हम से प्यार बेशुमार करते थे,
कभी जो हम पर जान निसार करते थे,
भरी महफ़िल में हमको बेवफा कहते हैं,
जो खुद से ज़्यादा हमपर ऐतबार करते थे।