न पूछ मेरे सब्र की इन्तहां कहाँ तक है,
तू सितम कर ले तेरी हसरत जहाँ तक है,
वफ़ा की उम्मीद जिन्हें होगी उन्हें होगी,
हमे तो देखना है तू बेवफा कहाँ तक है।
कहाँ से लाऊं वो शब्द जो तेरी तारीफ के क़ाबिल हो,
कहाँ से लाऊं वो चाँद जिसमें तेरी ख़ूबसूरती शामिल हो,
ए मेरे बेवफा सनम एक बार बता दे मुझकों,
कहाँ से लाऊं वो किस्मत जिसमें तू बस मुझे हांसिल हो।
आप बेवफा होंगे कभी सोचा ही नहीं था,
आप कभी खफा होंगे सोचा ही नहीं था,
जो गीत लिखे हमने कभी तेरे प्यार पर तेरे,
वही गीत रुशवा होंगे सोचा ही नहीं था।
बहुत अजीब था वो हिज्र का आलम,
कि तुझे अलविदा भी न कह सका,
तेरी मासूमियत में इतना फ़रेब था
कि तुझे बेवफ़ा भी न कह सका।
तेरी चौखट से सिर उठाऊं तो बेवफा कहना,
तेरे सिवा किसी और को चाहूँ तो बेवफा कहना,
मेरी वफाओं पे शक है तो खंजर उठा लेना,
मैं शौक से मर ना जाऊं तो बेवफा कहना।
दो दिलों की धड़कनों में एक साज़ होता है,
सबको अपनी-अपनी मोहब्बत पर नाज़ होता है,
उसमें से हर एक बेवफा नहीं होता,
उसकी बेवफ़ाई के पीछे भी कोई राज होता है।
वफ़ा के नाम से मेरे सनम अनजान थे,
किसी की बेवफाई से शायद परेशान थे,
हमने वफ़ा देनी चाही तो पता चला,
हम खुद बेवफा के नाम से बदनाम थे।
ऐ मेरा जनाज़ा उठाने वालो,
देखना कोई बेवफा पास न हो,
अगर हो तो उस से कहना,
आज तो खुशी का मौका है, उदास न हो।
मेरे कलम से लफ्ज़ खो गए शायद,
आज वो भी बेवफा हो गाए शायद,
जब नींद खुली तो पलकों में पानी था,
मेरे ख्वाब मुझपे रो गाए शायद।
दर्द ही सही मेरे इश्क़ का इनाम तो आया,
खाली ही सही होठों तक जाम तो आया,
मैं हूँ बेवफा सबको बताया उसने,
यूँ ही सही चलो उसके लबों पर मेरा नाम तो आया।
मुझे उसके आँचल का आशियाना न मिला,
उसकी ज़ुल्फ़ों की छाँव का ठिकाना न मिला,
कह दिया उसने मुझको ही बेवफा,
मुझे छोड़ने के लिए कोई बहाना न मिला।
टूटे हुए दिल ने भी उसके लिए दुआ मांगी,
मेरी साँसों ने हर पल उसकी ख़ुशी मांगी,
न जाने कैसी दिल्लगी थी उस बेवफा से,
कि मैंने आखिरी ख्वाहिश में भी उसकी वफ़ा मांगी।
नज़र नज़र से मिलेगी तो सर झुका लेंगे,
वो बेवफा है मेरा इम्तहान क्या लेगा,
उसे चिराग जलाने को मत कह देना,
वो ना समझ है कहीं उँगलियाँ जला लेगा।
हमदम तो ता उम्र साथ चलते हैं,
राहें तो बेवफ़ा बदलते हैं,
आपका चेहरा है जब से मेरे दिल में,
जाने क्यों लोग मेरे दिल से जलते हैं।
आपकी नशीली यादों में डूबकर,
हमने इश्क की गहराई को समझा,
आप तो दे रहे थे धोखा और,
हमने जानकर भी कभी आपको बेवफा न समझा।
तेरी चौखट से सर उठाऊँ तो बेवफा कहना,
तेरे सिवा किसी और को चाहूँ तो बेवफा कहना,
मेरी बफओं पे सक है तो खंजर उठा लेना,
मै शौक से ना मर जाऊं तो बेवफा कहना।
वो पानी की लहरों पे क्या लिख रहा था,
खुदा जाने हरफ-ऐ-दुआ लिख रहा था,
महोब्बत में मिली थी बेवफाई उसे भी शायद,
इसलिए हर शख्स को शायद बेवफा लिख रहा था।
मेरा इल्ज़ाम है तुझ पर कि तू बेवफा था,
दोष तो तेरा था मगर तू हमेशा ही खफा था,
ज़िन्दगी की इस किताब में बयान है तेरी मेरी कहानी,
यादों से सराबोर उसका एक एक सफा था।
मोहब्बत से रिहा होना ज़रूरी हो गया है,
मेरा तुझसे जुदा होना ज़रूरी हो गया है,
वफ़ा के तजुर्बे करते हुए तो उम्र गुजरी,
ज़रा सा बेवफा होना ज़रूरी हो गया है।
वो खुदा था मेरा अब मेरा ईमान है,
चला गया छोड़ कर इसलिए दिल उदास है,
बेवफा नही कहूंगा मैं उसको,
क्यूंकी इश्क़ करना उसका मुझ पर अहसान है।
ये बेवफा सनम वफा की कीमत क्या जाने,
है बेवफा गम-ऐ मोहब्बत क्या जाने,
जिन्हे मिलता है हर मोड़ पर नया हमसफर,
वो भला प्यार की कीमत क्या जाने।