हमें न मोहब्बत मिली न प्यार मिला,
हम को जो भी मिला बेवफा यार मिला,
अपनी तो बन गई तमाशा ज़िन्दगी,
हर कोई मकसद का तलबगार मिला।
वो पानी की लहरों पे क्या लिख रहा था,
खुदा जाने हरफ-ऐ-दुआ लिख रहा था,
महोब्बत में मिली थी बेवफाई उसे भी शायद,
इसलिए हर शख्स को शायद बेवफा लिख रहा था।
कैसी अजीब तुझसे यह जुदाई थी,
कि तुझे अलविदा भी ना कह सका,
तेरी सादगी में इतना फरेब था,
कि तुझे बेवफा भी ना कह सका।
जनाजा मेरा उठ रहा था,
फिर भी तकलीफ थी उसे आने में,
बेवफा घर में बैठी पूछ रही थी,
और कितनी देर है दफनाने में।
फ़र्ज़ था जो मेरा निभा दिया मैंने,
उसने माँगा वो सब दे दिया मैंने,
वो सुनके गैरों की बातें बेवफ़ा हो गयी,
समझ के ख्वाब उसको आखिर भुला दिया मैंने।
जो हुकुम करता है, वो इल्तज़ा भी करता है,
आसमान कही झुका भी करता है,
और तू बेवफा है तो ये खबर भी सुन ले,
इन्तेज़ार मेरा कोई वहा भी करता है।
मेरा इल्ज़ाम है तुझ पर कि तू बेवफा था,
दोष तो तेरा था मगर तू हमेशा ही खफा था,
ज़िन्दगी की इस किताब में बयान है तेरी मेरी कहानी,
यादों से सराबोर उसका एक एक सफा था।
तेरी चौखट से सर उठाऊँ तो बेवफा कहना,
तेरे सिवा किसी और को चाहूँ तो बेवफा कहना,
मेरी बफओं पे सक है तो खंजर उठा लेना,
मै शौक से ना मर जाऊं तो बेवफा कहना।
मोहब्बत से रिहा होना ज़रूरी हो गया है,
मेरा तुझसे जुदा होना ज़रूरी हो गया है,
वफ़ा के तजुर्बे करते हुए तो उम्र गुजरी,
ज़रा सा बेवफा होना ज़रूरी हो गया है।
मुझे उसके आँचल का आशियाना न मिला,
उसकी ज़ुल्फ़ों की छाँव का ठिकाना न मिला,
कह दिया उसने मुझको ही बेवफा,
मुझे छोड़ने के लिए कोई बहाना न मिला।
जो हुकुम करता है, वो इल्तज़ा भी करता है,
आसमान कही झुका भी करता है,
और तू बेवफा है तो ये खबर भी सुन ले,
इन्तज़ार मेरा कोई वहा भी करता है।
ये बेवफा सनम वफा की कीमत क्या जाने,
है बेवफा गम-ऐ मोहब्बत क्या जाने,
जिन्हे मिलता है हर मोड़ पर नया हमसफर,
वो भला प्यार की कीमत क्या जाने।
हम तो तेरे दिल की महफ़िल सजाने आए थे,
तेरी कसम तुझे अपना बनाने आए थे,
किस बात की सजा दी तुने हमको बेवफा,
हम तो तेरे दर्द को अपना बनाने आए थे।
जल-जल के दिल मेरा जलन से जल रहा,
एक अश्क मेरे आँख में मुद्दत से पल रहा,
जिसका मैं कर रहा हूँ घुट-घुट के इंतजार,
वो बेवफा ना आई मेरा दम निकल रहा।
किसी की खातिर मोहब्बत की इन्तेहाँ कर दो,
लेकिन इतना भी नहीं कि उसको खुदा कर दो,
मत चाहो किसी को टूट कर इस कदर इतना,
कि अपनी वफाओं से उसको बेवफा कर दो।
मेरे कलम से लफ्ज़ खो गए शायद,
आज वो भी बेवफा हो गाए शायद,
जब नींद खुली तो पलकों में पानी था,
मेरे ख्वाब मुझपे रो गाए शायद।
बेवफा से दिल लगा लिया नादान थे हम,
गलती हमसे हुई क्योंकि इंसान थे हम,
आज जिन्हें नज़रें मिलाने में तकलीफ होती है,
कुछ समय पहले उनकी जान थे हम।
कहाँ से लाऊं वो शब्द जो तेरी तारीफ के क़ाबिल हो,
कहाँ से लाऊं वो चाँद जिसमें तेरी ख़ूबसूरती शामिल हो,
ए मेरे बेवफा सनम एक बार बता दे मुझकों,
कहाँ से लाऊं वो किस्मत जिसमें तू बस मुझे हांसिल हो।
क्यों जिंदगी इस तरह तुम दूर हो गए,
क्या बात है जो इस तरह मगरूर हो गए,
हम तरसते रहे तुम्हारा प्यार पाने को,
बेवफा बनकर तुम तो मशहूर हो गए।
शायद हम ही बेवफा थे कि,
झटके से उनके दिल से निकल गए,
उनकी वफा तो देखिये कि,
अब तक दिल में घर किए बैठे हैं।