उन्हें एहसास हुआ है इश्क़ का हमें रुलाने के बाद,
अब हम पर प्यार आया है दूर चले जाने के बाद,
क्या बताएं किस कदर बेवफ़ा है यह दुनिया,
यहाँ लोग भूल जाते हैं किसी को दफनाने के बाद।
किस-किस को तू खुदा बनाएगी,
किस-किस की तू हसरतें मिटाएगी,
कितने ही परदे डाल ले गुनाहों पे,
बेवफा तू बेवफा ही नजर आएगी।
जो हुकुम करता है, वो इल्तज़ा भी करता है,
आसमान कही झुका भी करता है,
और तू बेवफा है तो ये खबर भी सुन ले,
इन्तेज़ार मेरा कोई वहा भी करता है।
आप बेवफा होंगे कभी सोचा ही नहीं था,
आप कभी खफा होंगे सोचा ही नहीं था,
जो गीत लिखे हमने कभी तेरे प्यार पर तेरे,
वही गीत रुशवा होंगे सोचा ही नहीं था।
मैंने कुछ इस तरह से खुद को संभाला है,
तुझे भुलाने को दुनिया का भरम पाला है,
अब किसी से मुहब्बत मैं कर नहीं पाता,
इसी सांचे में एक बेवफा ने मुझे ढाला है।
ये बेवफा सनम वफा की कीमत क्या जाने,
है बेवफा गम-ऐ मोहब्बत क्या जाने,
जिन्हे मिलता है हर मोड़ पर नया हमसफर,
वो भला प्यार की कीमत क्या जाने।
कैसी अजीब तुझसे यह जुदाई थी,
कि तुझे अलविदा भी ना कह सका,
तेरी सादगी में इतना फरेब था,
कि तुझे बेवफा भी ना कह सका।
वो तो अपने दर्द रो-रो के सुनाते रहे,
हमारी तन्हाइयों से आँख चुराते रहे,
और हमें बेवफा का नाम मिला क्योंकि,
हम हर दर्द मुस्कुरा कर छुपाते रहे।
जल-जल के दिल मेरा जलन से जल रहा,
एक अश्क मेरे आँख में मुद्दत से पल रहा,
जिसका मैं कर रहा हूँ घुट-घुट के इंतजार,
वो बेवफा ना आई मेरा दम निकल रहा।
हमें न मोहब्बत मिली न प्यार मिला,
हम को जो भी मिला बेवफा यार मिला,
अपनी तो बन गई तमाशा ज़िन्दगी,
हर कोई मकसद का तलबगार मिला।
जो हुकुम करता है, वो इल्तज़ा भी करता है,
आसमान कही झुका भी करता है,
और तू बेवफा है तो ये खबर भी सुन ले,
इन्तज़ार मेरा कोई वहा भी करता है।
तेरी चौखट से सर उठाऊँ तो बेवफा कहना,
तेरे सिवा किसी और को चाहूँ तो बेवफा कहना,
मेरी बफओं पे सक है तो खंजर उठा लेना,
मै शौक से ना मर जाऊं तो बेवफा कहना।
मोहब्बत से रिहा होना ज़रूरी हो गया है,
मेरा तुझसे जुदा होना ज़रूरी हो गया है,
वफ़ा के तजुर्बे करते हुए तो उम्र गुजरी,
ज़रा सा बेवफा होना ज़रूरी हो गया है।
आग दिल में लगी जब वो खफा हुए,
महसूस हुआ तब, जब वो जुदा हुए,
करके वफ़ा कुछ दे न सके वो हमे,
पर बहुत कुछ दे गए जब वो बेवफा हुए।
ऐ मेरा जनाज़ा उठाने वालो,
देखना कोई बेवफा पास न हो,
अगर हो तो उस से कहना,
आज तो खुशी का मौका है, उदास न हो।
क्यों जिंदगी इस तरह तुम दूर हो गए,
क्या बात है जो इस तरह मगरूर हो गए,
हम तरसते रहे तुम्हारा प्यार पाने को,
बेवफा बनकर तुम तो मशहूर हो गए।
बहुत अजीब था वो हिज्र का आलम,
कि तुझे अलविदा भी न कह सका,
तेरी मासूमियत में इतना फ़रेब था
कि तुझे बेवफ़ा भी न कह सका।
यूँ है सबकुछ मेरे पास बस दवा-ए-दिल नही,
दूर वो मुझसे है पर मैं उस से नाराज नहीं,
मालूम है अब भी मोहब्बत करता है वो मुझसे,
वो थोड़ा सा जिद्दी है लेकिन बेवफा नहीं।
वो पानी की लहरों पे क्या लिख रहा था,
खुदा जाने हरफ-ऐ-दुआ लिख रहा था,
महोब्बत में मिली थी बेवफाई उसे भी शायद,
इसलिए हर शख्स को शायद बेवफा लिख रहा था।
मेरा इल्ज़ाम है तुझ पर कि तू बेवफा था,
दोष तो तेरा था मगर तू हमेशा ही खफा था,
ज़िन्दगी की इस किताब में बयान है तेरी मेरी कहानी,
यादों से सराबोर उसका एक एक सफा था।