तरस गए आपके दिदार को,
फिर भी दिल आप ही को याद करता है,
हमसे खुश नसिब तो आपके घर का आईना है,
जो हर रोज आपके हुस्न का दिदार करता है।
दर्द है दिल में पर इसका एहसास नहीं होता,
रोता है दिल जब वो पास नहीं होता,
बर्बाद हो गए हम उसके प्यार में,
और वो कहते हैं इस तरह प्यार नहीं होता।
जिस दिल पे चोट न आई कभी,
वो दर्द किसी का क्या जाने,
खुद शम्मा को मालूम नहीं,
क्यूँ जल जाते हैं परवाने।
सितारो को रोशनी की क्या ज़रूरत,
ये तो खुद को जला लेते हे,
आशिक़ो को वफ़ा की क्या ज़रूरत,
वो तो बेवफा को भी प्यार कर लेते हे।
कहाँ कोई ऐसा मिला जिस पर हम दुनिया लुटा देते,
हर एक ने धोखा दिया, किस-किस को भुला देते,
अपने दिल का ज़ख्म दिल में ही दबाये रखा,
बयां करते तो महफ़िल को रुला देते।
ना कर तू इतनी कोशिशे,
मेरे दर्द को समझने की,
पहले इश्क़ कर, फिर ज़ख्म खा,
फिर लिख दवा मेरे दर्द की।
मत फेंक पानी मे पत्थर,
उसे भी कोई पिता है,
मत रहो खफा जिंदगी से,
तुम्हे देखकर भी कोई जीता है।
कोई अच्छी सी सज़ा दो मुझको,
चलो ऐसा करो भूला दो मुझको,
तुमसे बिछडु तो मौत आ जाये,
दिल की गहराई से ऐसी दुआ दो मुझको।
खुशियों से नाराज़ है मेरी ज़िन्दगी,
बस प्यार की मोहताज़ है मेरी ज़िन्दगी,
हँस लेता हूँ लोगों को दिखाने के लिए,
वैसे तो दर्द की किताब है मेरी ज़िन्दगी।
नींद से मेरा ताल्लुक़ ही नहीं बरसों से,
ख्वाब आ आ के मेरी छत पे टहलते क्यों है।
बहुत अजीब हैं ये बंदिशें मोहब्बत की,
कोई किसी को टूट कर चाहता है,
और कोई किसी को चाह कर टूट जाता है।
वो जान गयी थी हमें दर्द में मुस्कराने की आदत है,
देती थी नया जख्म वो रोज मेरी ख़ुशी के लिए।
हसीनो ने हसीन बनकर गुनाह किया,
औरों को तो क्या हमको भी तबाह किया,
पेश किया जब ग़ज़लों में हमने उनकी बेवफ़ाई को,
औरों ने तो क्या उन्होने भी वाह-वाह किया।
आँख तो प्यार में दिल की ज़ुबान होती है,
चाहत तो सदा बेज़ुबान होती है,
प्यार में दर्द भी मिले तो क्या घबराना,
सुना है दर्द से चाहत और जवान होती है।
हर सितम सह कर कितने ग़म छिपाये हमने,
तेरी खातिर हर दिन आँसू बहाये हमने,
तू छोड़ गया जहाँ हमें राहों में अकेला,
बस तेरे दिए ज़ख्म हर एक से छिपाए हमने।
हादसे इंसान के संग मसखरी करने लगे,
लफ्ज कागज पर उतर जादूगरी करने लगे,
कामयाबी जिसने पाई उनके घर बस गए,
जिनके दिल टूटे वो आशिक शायरी करने लगे।
बेताब हम भी थे दर्द जुदाई की कसम,
रोता वो भी होगा नज़रें चुरा चुरा कर।
बड़े महँगे किरदार है ज़िंदगी में साहिब,
समय समय पर सबके भाव बढ़ जाते है।
हमारे बिन अधूरे तुम रहोगे,
कभी चाहा था किसी ने तुम ये खुद कहोगे,
न होगे हम तो किसीके तुम ये खुद कहोगे,
मिलेगे बहुत से लेकिन कोई हम सा पागल ना होगा।
मेरा ख्याल जहन से मिटा भी न सकोगे,
एक बार जो तुम मेरे गम से मिलोगे,
तो सारी उम्र मुस्करा न सकोगे।