सुबह की चाय का रंग गहरा लगे है,
इसमें तो तेरे इश्क़ का पहरा लगे है,
कुछ तो खास है तेरी इस चाय में,
पिने वाले का रंग सुनहरा लगे है।
सुबह की चाय का रंग गहरा लगे है,
इसमें तो तेरे इश्क़ का पहरा लगे है,
कुछ तो खास है तेरी इस चाय में,
पिने वाले का रंग सुनहरा लगे है।
अब अपने लोग मुझे गैर और,
गैर लोग मुझे अपने लगते है,
अब चाय संग नमकीन,
जैसे दारू संग चखना लगता है।
दिल की तकलीफ को हम,
अपनी आदत बना लेते है,
दर्द जब हद से बढ़ जाए,
तो चाय बना लेते है।
सुबह का ही समय होता है,
जब जन्नत का एहसास होता है,
आँखे आधी बंद होती है,
फिर भी चाय की तलाश होती है।
बहोत ही ज्यादा ठंड है दोस्त,
प्लीज अपना ज्ञान मत बाटों,
अगर बाँटनेका इतनाही शौक है,
तो एक एक कप चाय बांटो।
तुम और चाय,
जब मुझे एक साथ मिलते हो,
यकीन मानो,
उससे खूबसूरत लम्हा कोई और नहीं होता।
उजाले जुगनुओं से,
और फूलों से ताज़ी महक चुराई है,
वक्त चुराया जिंदगी से,
फिर ये सुकून की दो घूंट बनायीं है।
चाय वो मेहबूब है,
जो शिकायत का मौका नहीं देती,
चाय वो मेहबूब है,
जनाब जो कभी धोका नहीं देती।
पहली मुलाकात थी उनसे,
और अपने इश्क़ के इजहार को,
चाय की दीवाने निकले हम दोनों,
क्या कहें इस इस्तेफ़ाक़ को।