अब अपने लोग मुझे गैर और,
गैर लोग मुझे अपने लगते है,
अब चाय संग नमकीन,
जैसे दारू संग चखना लगता है।
गर्मी के मौसम में,
हलकी ठंडी हवाएं मिल जाती है,
हमे सब कुछ मिल जाता है,
जब चाय मिल जाती है।
वो तेरे शहरी कप के चाय,
उसमे क्या स्वाद आएगी,
कुल्हड़ में पी के देख कभी
उसी चाय की स्वाद दिल को छू जाएगी।
बहोत ही ज्यादा ठंड है दोस्त,
प्लीज अपना ज्ञान मत बाटों,
अगर बाँटनेका इतनाही शौक है,
तो एक एक कप चाय बांटो।
दिल की तकलीफ को हम,
अपनी आदत बना लेते है,
दर्द जब हद से बढ़ जाए,
तो चाय बना लेते है।
पहली मुलाकात थी उनसे,
और अपने इश्क़ के इजहार को,
चाय की दीवाने निकले हम दोनों,
क्या कहें इस इस्तेफ़ाक़ को।
ज़िन्दगी जैसी भी हो,
हंसी खुशी जीनी पड़ेगी,
चाय थोड़ी जुदा बन गई,
एक कप तुम्हे भी पीनी पड़ेगी।
दोस्तों और अतिथियों के मन को जीतना हो,
या फिर किसी को खुश करना हो,
दें उनके हाथ में चाय का एक प्याला,
और देखें चमत्कार का निराला।
सुबह की चाय का रंग गहरा लगे है,
इसमें तो तेरे इश्क़ का पहरा लगे है,
कुछ तो खास है तेरी इस चाय में,
पिने वाले का रंग सुनहरा लगे है।
चाय वो मेहबूब है,
जो शिकायत का मौका नहीं देती,
चाय वो मेहबूब है,
जनाब जो कभी धोका नहीं देती।
सुबह सुबह लीजिए हाथ में चाय का एक प्याला,
होगा आपके जीवन में उजाला ही उजाला।
चाय का है नशा निराला,
एक प्याला देता है आपको जोश निराला।