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Home Chai Shayari Chai Shayari in Hindi - चाय शायरी इन हिंदी

नशा इश्क़ का बुरा है गालिब

नशा इश्क़ का बुरा है गालिबनशा इश्क़ का बुरा है गालिब,
महबूब के हाथो का जहर भी चाय लगती है।

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ना दिल में आती हूँ ना समझ में आती हूँना दिल में आती हूँ, ना समझ में आती हूँ,
अगर चाय पिलाओगे तो, अभी आती हूँ

हजार बार तलाशी ली है तुमने मेरे फ़ोन कीहजार बार तलाशी ली है तुमने मेरे फ़ोन की,
बताओ इसमें चाय के अलावा कभी कुछ मिला तो।

ये चाय की मोहब्बत तुम क्या जानोये चाय की मोहब्बत तुम क्या जानो,
बड़ी तसल्ली से सोचता हूँ तुम्हे हर घुट के साथ।

तारीफे बयां कर रहे थे लोग अपने अपने पसंदीदा जाम कीतारीफे बयां कर रहे थे लोग,
अपने अपने पसंदीदा जाम की,
खामोशी बसर हो गई महफ़िल में,
जब मिसाल दी मैने चाय की।

नशा इश्क़ का बुरा है गालिबनशा इश्क़ का बुरा है गालिब,
महबूब के हाथो का जहर भी चाय लगती है।

जागने की इजाज़त नहीं देते तेरे ख्वाब मुझेजागने की इजाज़त नहीं देते तेरे ख्वाब मुझे,
वो तो में चाय का बहाना कर के उठ जाता हूं।

एक सुबह की चाय तुम्हारी और इक चाय हमारी भीएक सुबह की चाय तुम्हारी,
और एक चाय हमारी भी,
कुछ बातें दिल में तुम्हारे भी,
और कुछ जज्बात हमारे भी।

तुम और चाय जब मुझे एक साथ मिलते हो तुम और चाय,
जब मुझे एक साथ मिलते हो,
यकीन मानो,
उससे खूबसूरत लम्हा कोई और नहीं होता।

कुछ मोहब्बत का नशा था पहले हमकोकुछ मोहब्बत का नशा था पहले हमको,
दिल जो टुटा तो चाय से मोहब्बत हो गई।

लहाज जरा ठंडा रखे जनाबलहाज जरा ठंडा रखे जनाब,
गरम तो हमें सिर्फ चाय पसंद है।

चलो ना पहले वाला इतवार मनाते हैचलो ना पहले वाला इतवार मनाते है,
चाय बनाते है ओर घंटो बतियाते है।

चाय वो मेहबूब है जो शिकायत का मौका नहीं देतीचाय वो मेहबूब है,
जो शिकायत का मौका नहीं देती,
चाय वो मेहबूब है,
जनाब जो कभी धोका नहीं देती।

थके हारे लोगों में भी जान आ जाती हैथके हारे लोगों में भी जान आ जाती है,
जब सफ़र में चाय की दुकान आती है।

आदत नहीं कुछ लाइलाज बीमारी हैआदत नहीं कुछ, लाइलाज बीमारी है,
चाय से मेरी कुछ इस कदर यारी है।

हम नहीं लगते बेवफा सनम के मुँहहम नहीं लगते बेवफा सनम के मुँह,
हमारे लब तो बस इस चाय की प्याली के लिए हैं।

जब सुबह सुबह तेरे प्यार के नग्मे गुनगुनाता हूंजब सुबह सुबह तेरे प्यार के नग्मे गुनगुनाता हूं,
लब मुस्कुराते है जब चाय का कप उठाता हूं।

मेरे हर लम्हे में सुकून भर देती हैमेरे हर लम्हे में सुकून भर देती है,
तुम्हारे हाथ की चाय दिसंबर को भी जून कर देती है।

मेरी चाय कि आखिरी घूंट हो तुममेरी चाय कि आखिरी घूंट हो तुम,
जिसे ना खत्म करना अच्छा लगता है ना छोड़ना।

जिंदगी में सबने बेचैनी दे रखी है मुझेजिंदगी में सबने बेचैनी दे रखी है मुझे,
बस एक चाय ही है जो सुकून देती है।

सुबह की चाय का रंग गहरा लगे हैसुबह की चाय का रंग गहरा लगे है,
इसमें तो तेरे इश्क़ का पहरा लगे है,
कुछ तो खास है तेरी इस चाय में,
पिने वाले का रंग सुनहरा लगे है।


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