तेरी यादों की गर्माहट ने मानो,
नस नस में नशा फुक दिया है,
मैंने दिल के घावों को,
अभी भी चाय के जरिये भर दिया है।
कभी हसाती है,
तो कभी गम के सागर में डूबा जाती है,
वो चाय की टपरी,
अपनी ना होते हुए भी बहुत याद आती है।
चाय वो मेहबूब है,
जो शिकायत का मौका नहीं देती,
चाय वो मेहबूब है,
जनाब जो कभी धोका नहीं देती।
बात करने का मजा फ़ोन पे नहीं,
सामने बैठ के आता है,
चाय का मज़ा कप में नहीं,
प्लेट में पिने से आता है।
गर्मी के मौसम में,
हलकी ठंडी हवाएं मिल जाती है,
हमे सब कुछ मिल जाता है,
जब चाय मिल जाती है।
प्यार से बनाता है कोई,
उसका दिल ना तोड़ा करो,
पूरी पी लिया करो,
आधी कप में ना छोड़ा करो।
तुम और चाय,
जब मुझे एक साथ मिलते हो,
यकीन मानो,
उससे खूबसूरत लम्हा कोई और नहीं होता।