रो कर मुस्कुराने का मजा ही कुछ और है,
जिंदगी में कुछ खो कर पाने का मजा ही कुछ और है,
ज़िन्दगी में हार और जीत तो लगी ही रहती है,
लेकिन हार के जीतने का मजा ही कुछ और आता है।
हालात से टकराने का जज्बा रखो,
मुश्किलों में मुस्कुराने का जज्बा रखो,
अगर रूठ जाए तुम्हारे दिल का रेगिस्तान,
तो रेत की दीवार बनाने का जज्बा रखो।
नज़र-नज़र में उतरना कमाल होता है,
नफ़स-नफ़स में बिखरना कमाल होता है,
बुलंदियों पे पहुँचना कोई कमाल नहीं,
बुलंदियों पे ठहरना कमाल होता है।
पानी में तस्वीर बना सकते हो तुम,
कलाम को शमशेर बना सकते हो तुम,
कायर हैं जो तकदीर पे रोते हैं,
जैसी चाहो वैसी तकदीर बना सकते हो तुम।
खोकर पाने का मज़ा ही कुछ और है,
रोकर मुस्कुराने का मज़ा ही कुछ और है,
हार तो जिंदगी का हिस्सा है मेरे दोस्त,
हार के बाद जीतने का मजा ही कुछ और है।
सोच को अपनी ले जाओ उस शिखर पर,
ताकि उसके आगे सितारे भी झुक जाएं,
ना बनाओ अपने सफर को किसी किश्ती का मोहताज,
चलो इस शान से कि तूफान भी रुक जाए।
जल को बर्फ़ में बदलने में वक्त लगता है,
सूरज को निकलने में वक्त लगता है,
किस्मत को तो हम बदल नही सकते,
लेकिन अपने हौसलो से किस्मत बदलने में वक्त लगता है।
उंगली पकड़ के जिसकी खड़े हो गये हम,
माँ बाप की दुआ से बड़े हो गये हम,
हम आँधियों से जूझ के हँसते ही रहे हैं,
फौलाद से भी ज्यादा कड़े हो गये हम।
बुरे लोगों को भूल कर अच्छे लोगों की,
तलाश से कहीं बेहतर है की हम लोगो,
की बुरी बातें भूल जाएँ और,
उनकी अच्छी बातें तलाश करें।
जब टूटने लगे हौसले तो बस ये याद रखना,
बिना मेहनत के हासिल तख्तो ताज नहीं होते,
ढूंढ़ लेना अंधेरों में मंजिल अपनी,
जुगनू कभी रौशनी के मोहताज़ नहीं होते।
मंजिल पर सफलता का निशान चाहिए,
होंठों पे खिलती हुई मुस्कान चाहिए,
बहलने वाले नहीं हम छोटे से टुकड़े से,
हमें तो पूरा का पूरा आसमान चाहिए।
मुश्किलें दिलों के इरादों को आजमाएंगी,
आँखों के पर्दों को निगाहों से हटाएँगी,
गिरकर भी हम को संभलना होगा,
ये ठोकरें ही हमको चलना सिखाएंगी।
सब्र एक ऐसी सवारी है जो अपने,
सवार को कभी गिरने नहीं देती,
न किसी के क़दमों में, न किसी की नज़रों में।
जीत की ख़ातिर बस जूनून चाहिए,
जिसमें उबाल हो ऐसा खून चाहिए,
ये आसमां भी आ जाएगा ज़मीं पर,
बस इरादों में जीत की गूँज चाहिए।
इन निगाहों में मन्ज़िले हैं,
सामने कठिन रास्ते हैं बहुत,
लेकिन मैं हर मुश्किल से उलझ गया,
और मैं सबसे आगे निकल गया।
अभी को असली मंजिल पाना बाकी है,
अभी तो इरादों का इम्तिहान बाकी है,
अभी तो तोली है मुट्ठी भर जमीन,
अभी तोलना आसमान बाकी है।
बुझी शमा भी जल सकती है,
तूफानों से कश्ती भी निकल सकती है,
हो के मायूस यूँ ना अपने इरादे बदल,
तेरी किस्मत कभी भी बदल सकती है।
नदी हो दरिया हो या हो भंवर भी,
छू भी न पाये ऊँची लहरों की हलचल,
समंदर भी न डुबो पाया मेरी कश्ती को,
मुझे किसी किनारे की जरूरत नहीं है।
साहिल पे पहुंचने से इनकार किसे है लेकिन,
तूफ़ानो से लड़ने का मज़ा ही कुछ और है,
कहते है, कि किस्मत खुदा लिखता है लेकिन,
उसे मिटा के खुद गढ़ने का मजा ही कुछ और है।
जो हो गया उसे सोचा नहीं करते,
जो मिल गया उसे खोया नहीं करते,
हासिल उन्हे होती है सफलता,
जो वक्त और हालात पर रोया नहीं करते।
मुसीबत के साये में मैं हँसता-हँसाता हूँ,
ग़मों से उलझ कर भी मैं मुस्कराता हूँ,
हाथों में मुकद्दर की लकीरें है नहीं लेकिन,
मैं तो अपना मुकद्दर खुद बनाता हूँ।