यही जज्बा रहा तो मुश्किलों का हल भी निकलेगा,
जमीं बंजर हुई तो क्या वहीं से जल भी निकलेगा,
न मायूस हो न घबरा अंधेरों से मेरे साथी,
इन्हीं रातों के दामन से सुनहरा कल भी निकलेगा।
सब्र एक ऐसी सवारी है जो अपने,
सवार को कभी गिरने नहीं देती,
न किसी के क़दमों में, न किसी की नज़रों में।
पानी में तस्वीर बना सकते हो तुम,
कलाम को शमशेर बना सकते हो तुम,
कायर हैं जो तकदीर पे रोते हैं,
जैसी चाहो वैसी तकदीर बना सकते हो तुम।
बुरे लोगों को भूल कर अच्छे लोगों की,
तलाश से कहीं बेहतर है की हम लोगो,
की बुरी बातें भूल जाएँ और,
उनकी अच्छी बातें तलाश करें।
गर्दिश मे बसर कर ली ज़िन्दगी,
उन चमकते सितारों की जरूरत नहीं है,
खुद ही गिरते और खुद ही संभलते हैं,
अब किसी के सहारों की जरूरत नहीं है।
जीत की ख़ातिर बस जूनून चाहिए,
जिसमें उबाल हो ऐसा खून चाहिए,
ये आसमां भी आ जाएगा ज़मीं पर,
बस इरादों में जीत की गूँज चाहिए।
मुश्किलों से भाग जाना आसान होता है,
हर पहलू जिंदगी का इम्तिहान होता है,
डरने वालों को मिलता नहीं कुछ जिंदगी में,
लड़ने वालों के कदमों में जहान होता है।
रो कर मुस्कुराने का मजा ही कुछ और है,
जिंदगी में कुछ खो कर पाने का मजा ही कुछ और है,
ज़िन्दगी में हार और जीत तो लगी ही रहती है,
लेकिन हार के जीतने का मजा ही कुछ और आता है।
नज़र-नज़र में उतरना कमाल होता है,
नफ़स-नफ़स में बिखरना कमाल होता है,
बुलंदियों पे पहुँचना कोई कमाल नहीं,
बुलंदियों पे ठहरना कमाल होता है।
समर में घाव खाता है उसी का मान होता है,
छिपा उस वेदना में अमर बलिदान होता है,
सृजन में चोट खाता है छेनी और हथौड़ी का,
वही पाषाण मंदिर में कहीं भगवान होता है।
जब टूटने लगे हौसले तो बस ये याद रखना,
बिना मेहनत के हासिल तख्तो ताज नहीं होते,
ढूंढ़ लेना अंधेरों में मंजिल अपनी,
जुगनू कभी रौशनी के मोहताज़ नहीं होते।
तालीमें नहीं दी जाती परिंदों को उड़ानों की,
वे खुद ही तय करते है, ऊँचाई आसमानों की,
रखते हैं जो हौसला आसमां को छूने का,
वो नहीं करते परवाह जमीन पे गिर जाने की।
अभी को असली मंजिल पाना बाकी है,
अभी तो इरादों का इम्तिहान बाकी है,
अभी तो तोली है मुट्ठी भर जमीन,
अभी तोलना आसमान बाकी है।
यही जज्बा रहा तो मुश्किलों का हल भी निकलेगा,
जमीं बंजर हुई तो क्या वहीं से जल भी निकलेगा,
न मायूस हो न घबरा अंधेरों से मेरे साथी,
इन्हीं रातों के दामन से सुनहरा कल भी निकलेगा।
आसमाँ में मत ढूंढ़ अपने सपनों को,
सपनों के लिए तो जमीं जरुरी है,
सबकुछ मिल जाये तो दुनिया में क्या मजा,
जीने के लिए एक कमी भी जरुरी है।
आज बादलों ने फिर साजिश की,
जहाँ मेरा घर था वहीं बारिश की,
अगर फलक को जिद है बिजलियाँ गिराने की,
तो हमें भी जिद है वहीं पर आशियाँ बसाने की।
आंधियों को जिद है जहां बिजलियां गिराने की,
मुझे भी जिद है, वही आशियां बसाने की,
हिम्मत और हौंसले बुलंद है, खड़ा हूं अभी गिरा नही हूं
अभी जंग बाकी है, और मै हारा भी नही हूं।
मंजिल पर सफलता का निशान चाहिए,
होंठों पे खिलती हुई मुस्कान चाहिए,
बहलने वाले नहीं हम छोटे से टुकड़े से,
हमें तो पूरा का पूरा आसमान चाहिए।
अगर सीखना है दिए से तो जलना नहीं, मुस्कुराना सीखो,
अगर सीखना है सूर्य से तो डूबना नहीं उठना सीखो,
अगर पहुंचना हो शिखर पर तो राह पर चलना नहीं,
राह का निर्माण सीखो।
बुझी शमां भी जल सकती है,
तूफान से कश्ती भी निकल सकती है,
होके मायूस यूं ना अपने इरादे बदल,
तेरी किस्मत कभी भी बदल सकती है।
उंगली पकड़ के जिसकी खड़े हो गये हम,
माँ बाप की दुआ से बड़े हो गये हम,
हम आँधियों से जूझ के हँसते ही रहे हैं,
फौलाद से भी ज्यादा कड़े हो गये हम।